Ghanshyam Prasad's Album: Wall Photos

Photo 1,158 of 5,346 in Wall Photos

ये गांधी - जिसने नोआखाली में हजारों हिन्दू भाइयों को गाजर-मूली की तरह कटवा दिया -----

१०.१०.१९४६ नोआखाली -- दंगे के बाद वो पूरा इलाका लाशों से पटा हुआ था ।

एक सप्ताह तक बे रोक-टोक हुए इस नरसंहार में 50000 से ज्यादा हिन्दू मारे गए थे ।

सैकड़ों महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया और हजारों हिंदू पुरुषों और महिलाओं को जबरन इस्लाम क़बूल करवाया गया था ।

लगभग 50,000 से 75,000 हिन्दुओं को कोमिला, चांदपुर, अगरतला और अन्य स्थानों के अस्थायी राहत शिविरों में आश्रय दिया गया ।

रिपोर्ट्स बताती है कि इसके अलावा, मुस्लिम गुंडों की सख्त निगरानी में लगभग 50,000 हिन्दू इन प्रभावित क्षेत्रों में असहाय बने पड़े रहे थे ।

कुछ क्षेत्रों से गाँव से बाहर जाने के लिए, हिंदुओं को मुस्लिम नेताओं से परमिट प्राप्त करना पड़ा था ।

जबरन धर्म परिवर्तित हुए हिंदुओं को लिखित घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करना पड़ा कि उन्होंने स्वयं अपनी मर्ज़ी से इस्लाम क़बूला है ।

बहुतों को अपने घर में रहने की आज्ञा नहीं थी, वो तब ही अपने घर में जा सकते थे जब कोई सरकारी मुलाज़िम निरीक्षण के लिए आता था ।

हिन्दुओं को मुस्लिम लीग को जज़िया टैक्स भी देने के लिए मज़बूर किया गया ।

जिसने सिर्फ अपनी हवस के लिये देश का विभाजन स्वीकार कर लिया ।

कहता था - मेरी लाश पर पाकिस्तान बनेगा और खुद ही बनवा गया ।

टर्की में “कमाल अतातुर्क” के द्वारा “लोकतंत्र की स्थापना” के खिलाफ “गांधी” ने भारत में “खिलाफत आन्दोलन” किया । जिस के कारण “बंगाल के नोआखाली” का ये कत्लेआम हुआ ।

जिस आधुनिक “धर्मनिरपेक्षता” की आज दुहाई दी जाती है, उसे “कमाल अतातुर्क” ने जब इस “धर्मनिरपेक्षता” टर्की में लागू किया , तो “गांधी” ने उसका विरोध किया और उन्होंने मुसलमानों से इसके के लिए “खिलाफत” की मांग की ।

खिलाफत मतलब, दुनिया भर के मुसलमानों का “एक खलीफा” अर्थात “एक नेता” हो और वह उनके “निर्देश” पर ही चलें, सिर्फ “खलीफा” के “आदेश” को माने अपने देश के “कानून या संविधान” के हिसाब को नहीं ।

मुसलमानों में “चार खलीफा” हो चुके हैं। कमाल अतातुर्क ने इसी खिलाफत को समाप्त कर मुसलमानों को “आधुनिक लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता” से जोड़ने की शुरुआत की, लेकिन गांधी ने उसका विरोध कर भारतीय में “प्रतिक्रियावाद और कठमुल्लापन” को बढ़ावा दिया ।

गांधी ने “दारुल हरब अर्थात गैर इस्लाामकि देश को दारूल इस्ला्म” अर्थात “इस्लाेम शासित देश” बनाने का “बीज भारतीय मुसलमानों के दिमाग में बो दिया” और गांधी के रहते-रहते भारत से अलग इस्लाम के नाम पर पाकिस्ता़न का निर्माण भी हो गया ।

१९४६ में जब देश मुस्लिम लीग के 'डायरेक्ट एक्शन' के कारण दंगों की चपेट में था और बंगाल में ख़ास तौर पर वहाँ के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुहरावर्दी की अगुवाई में कत्लेआम , बलात्कार , लूट पाट और धर्मांतरण हो रहा था, तब गांधी जी नौखाली में , जहाँ सबसे ज्यादा हिन्दू वर्ग बर्बरता का शिकार हुआ था , वहाँ गाँधी ४ महीने रहे थे।

नौखाली पहली बड़ी घटना थी जहाँ दंगे और लूट पाट का उद्देश्य वहां से हिन्दुओ का पूर्ण सफाया था । ४ महीने गांधी वहां पड़े रहे , लेकिन एक भी हिन्दू दोबारा वहां नही बस पाया ।

उस वक्ता कांग्रेस का अध्यक्ष जे.बी कृपलानी थे, जो गांधी जी को सही स्थिति की जानकारी देने के लिए अपनी पत्नी सुचेता कृपलानी के साथ नोआखाली गए थे ।

जे.बी कृपलानी ने अपने संस्म‍रण में लिखा है, '' वहां हमने सुना कि एक हिंदू लड़की आरती सूर की जबरदस्ती मुस्लिम लड़के से शादी करा दी गई थी। वह पंचघडि़यां गांव की थी।
सुचेता ने उसका नाम नोट किया और चौमुहानी लौटने पर मजिस्ट्रेट को इसकी जानकारी दी । मजिस्ट्रेट ने मुझसे कहा कि इस तरह की शादियां लड़की की मर्जी से हो रही हैं ।

इतना सुनना था कि सुचेता क्रोध से फट पड़ी और मजिस्ट्रेट को चुनौती दी । मजिस्ट्रेट ने निरुत्तर होने के बाद अगले दिन उस लड़की को छुड़वाया और मां-बाप को वापस कराया । उसके बाद उस लड़की को कलकत्ता भेज दिया गया, ताकि वह सुरक्षित रहे ।''

जे.बी लिखते हैं, '' संगठित और हथियार बंद झुड निकलते थे और हिंदू घरों को घेर लेते थे। पहले ही झटके में जो जमींदार परिवार थे, उन पर कहर ढाया गयाा दंगाईयों ने हर जगह एक ही तरीका अपनाया। मौलाना और मौलवी झुंड के साथ चलते थे। जहां भीड़ का काम खत्म हुआ, वहाँ मौलाना और मौलवी हिंदुओं को धर्मांतरित करते थे । कुछ गांवों में कुरान के कल्माम और आयतें सिखाने के लिए क्लास चलाए जाते थे ।"

"दत्तामपाड़ा में हमने पाया कि धर्मांतरित लोगों को गो मांस खाने के लिए मजबूर किया जाता था ।''
( साभार संदर्भ: शाश्वकत विद्रोही राजनेता: आचार्य जे.बी.कृपलानी- लेखक: रामबहादुर राय )

सब कुछ इतिहास के दस्तावेजों में मौजूद है ।

{1}-- देश बंटवारे से पहले नोआखाली में हिंदुओं के नरसंहार, बलात धर्मांतरण, बलात हिंदु महिलाओं से विवाह, उनके बलात्कार की घटनाओं को लेकर तत्कालीन कांग्रेस अधक्ष जे.बी कृपलानी द्वारा महात्मा गांधी को लिखे गए पत्र की कॉपी मौजूद है ।

{2}-- संघ की पहली राजनैतिक पार्टी 'जनसंघ' के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी का कोलकाता विधानसभा का वह ऐतिहासिक भाषण मौजूद है, जिसमें हिंदुओं को सामूहिक रूप से मुसलमान बनाए जाने का जिक्र है ।

{3}-- महात्मा गांधी के साथ नोआखाली गए विदेशी पत्रकार की पूरी पुस्तक मौजूद है, जिसमें पूरे के पूरे हिंदू गांव को बलात् धर्मांतरित कर मुस्लिम बनाने का जिक्र है ।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार लगभग ५०००० हिन्दू मारे गए, भगाए गए, लूटे गए, बलात्कार और जबरन धर्मांतरण के शिकार हुए... गांधी, एक को भी देंगे से पहले की हालात में नही लौटा पाये । यह गांधी जी और उनके गांधीवादिता की सबसे बड़ी हार थी । वहां से लौटे हुए गांधी हारे हुए गांधी थे, जो अपनी लुटी-पिटी गांधीवादिता की अस्थियाँ समेट के लाये थे ।

यह गांधी की सबसे बड़ी विफलता ( सफलता ) थी । इस “खिलाफत आन्दोलन के कारण” बंगाल में और पुरे देश में हिंसा हुई । “अहिंसा की नीति” {झूठी} पर चलने वाले गांधी के सामने ही 5 लाख से अधिक हिंदू-मुसलमान एक दूसरे का कत्लेआम करते चले गए और “गांधी की अहिंसा” उनके सामने ही दम तोड़ती और झूठी नजर आई ।

इसी मानसिकता से देश टूटा और यही मानसिकता आज मौजूदा समय में “इस्लामिक स्टेट” ईराक सीरिया और टर्की में खून खराबा और कत्लेआम कर रही है । आज उन्होंने “अबू बकर” को अपना “खलीफा” घोषित कर रखा है ।

जो एक हिजड़ा था और इसे पता नहीं , किसने राष्ट्रपिता की उपाधि दे दी ।

मक्कार और झूठे लोगों, मेरी बातों पर संदेह हो तो जे.बी का संस्मरण बाजार से खरीद लाओ, उसमें गांधी जी को लिखी गई चिटठी मौजूद है, जिसमें स्पष्टा लिखा है कि संगठित तरीके से हिंदु आबादी को धर्मांतरित कर मुसलमान बनाया गया ।

सरोजिनी नायडू ने खुद कहा था कि मोहनदास करमचन्द गांधी को गरीब दिखने के लिए बहुत खर्चा करना पड़ता था।इसके लिए गांधी थर्ड क्लास के डिब्बे में चलते थे और अपनी बकरी को भी साथ रखते थे । और उनके समर्थक गुंडागर्दी करके जबरदस्ती पूरा डिब्बा खाली करवा देते थे ।
लेकिन दुनिया के सामने ये कहते थे कि लोगो ने इज्जत देने के लिये डिब्बा खाली कर दिया"..

"गिरिजा कुमार" द्वारा लिखित "महात्‍मा गांधी और उनकी महिला मित्र" पुस्‍तक को पढने पर लगता है कि वह नोआखाली में भी महिलाओं के साथ "नग्‍न सोने" का अपना ब्रह्मचर्य प्रयोग जारी किए हुए थे ।

यहां तक कि अपने चाचा की पौत्री मनु गांधी को वहां उसके पिता को पत्र भेजकर विशेष रूप से बुलवाया गया और उन्‍हें दूसरे गांव में रहने के लिए भेज दिया ताकि गांधी निर्वस्‍त्र मनु गांधी के साथ सो सकें ।

"सरदार पटेल" गांधी के इस कृत्‍य से इतने क्रोधित हुए कि उन्‍होने खुल्‍लमखुल्‍ला कह दिया कि स्त्रियों के साथ निर्वसन सोकर बापू अधर्म कर रहे हैं ।

पटेल के गुस्‍से के बाद बापू इसकी स्‍वीकृति लेने के लिए बिनोवा भावे, घनश्‍याम दास बिड़ला, किशोरलाल आदि को इसके पक्ष में तर्क देने लगे, -- लेकिन कोई भी -- इतनी मारकाट के बीच पौत्री के साथ उनके नग्‍न सोने का समर्थन नहीं कर रहा था ।

सार्वजनिक रूप से पटेल द्वारा लांछन लगाने को गांधी कभी नहीं भूल पाए ।

माना जाता है कि 1946 में जब पूरी कांग्रेस ने सरदार पटेल को आगामी प्रधानमंत्री बनाने के लिए समर्थन किया, तो गांधी ने नेहरू का नाम आगे बढ़ा कर पटेल से अपने नोआखाली के अपमान का बदला लिया ।

जिसने भगत सिंह को फांसी दिए जाने का विरोध नही किया,
इसने अपनी पूरी जिन्दगी में - क्रांतिकारियों का एक भी केस नही लड़ा,
जब की ये खुद भी वकील था।

जो बोटी खाते हैं उन्हें बोटी देने वाले के खिलाफ बोलने की अनुमति नहीं होती ,,
विदेशी पैसे पर पलने वाले एक NGO शुरू करने वाला,
बंगाल में 50000 लोग मारे गए थे ,,
क्या एक बार भी ये गाँधी अंग्रेजों के खिलाफ बोला या आवाज़ उठाई ??

जिसके इशारे पर नेहरु द्वारा आज़ाद को मरवा दिया गया ।

जिसने पाकिस्तान को 65 करोड़ दिलवाने के लिए आमरण अनशन किया ।

जिसने हमारे हिन्दू भाइयों में फूट डालने के लिए हरिजन जैसे शब्द का निर्माण किया ।

और तो और -- इस गांधी ने मुसलमानों को की भाषा भी अपना ली थी जो की इस के सावर्जनिक बयानों में है :---

ये "भगवान राम" के लिये "बादशाह राम" और "सीता माता" के लिए "बेगम सीता" जैसे उर्दू शब्दों का प्रयोग होने लगा था, परन्तु इस महात्मा में इतना साहस न था कि "मिस्टर जिन्ना" को "महाशय जिन्ना" कहकर पुकारे और "मौलाना आज़ाद" को "पण्डित आज़ाद" कहे । इस गांधी ने जितने भी अनुभव प्राप्त किये, वे हिन्दुओ की बलि देकर ही किए ।

जिसने "सिर्फ और सिर्फ" मुल्लो की भलाई का ही सोचा और हम उसके गीता द्वारा कहे अधूरे श्लोक को पढ़कर नपुंसक बनते जा रहे है ।

-- अंहिंसा परमो धर्मः --

-- जब खुद में लड़ने का दम नहीं था --

तो गीता का श्लोक को आधा करके लोगो को नपुंसक बना दिया "अहिंसा परमों धर्मं:

पूर्ण श्लोक क्यों नहीं बताया लोगो को ? ?

"अहिंसा परमों धर्मं: धर्मं हिंसा तथैव च:"

अर्थात यदि अहिंसा परम धर्म है तो धर्म के लिए हिंसा अर्थात
(कानून के अनुसार हिंसा ) भी परम धर्म है I

अहिंसा मनुष्य के लिए परम धर्म है,
और धर्म कि रक्षा के लिए हिंसा करना हिंसा करना उससे भी श्रेस्ठ है !!!

जब जब धर्म (सत्य) पर संकट आये तब तब तुम शस्त्र उठाना I

अगर हमने श्लोक को "पूरा नही किया" और "पूरा नही पढ़ा" तो --
अपने ही घर में अल्पसंख्यक होकर रह जाओगे..।
-------------------
अहिंसा परमो धर्मः
धर्म हिसां तथैव च:
----------------------
धर्म की रक्षा के लिये हिंसा आवश्यक है।

गिरधारी भार्गव जी