Ghanshyam Prasad's Album: Wall Photos

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ये प्रीति माथुर है। 20 साल की उम्र। दिल्ली यूनिवर्सिटी में फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट थी। पिछले साल पहले पिता को हार्ट अटैक आया तो परिवार का सहारा बनने के लिए प्रीति माथुर ने पढ़ाई के साथ-साथ एक दुकान पर नौकरी कर ली। जब इसे पहली सैलरी मिली तो मंदिर के प्रसाद के साथ पूरे पैसे लाकर अपने पापा के हाथों में रख दिया था। एक शाम साउथ दिल्ली के भोगल मार्केट में मोहम्मद मुनाज़िर ने उसे चाकुओं से गोद-गोदकर मौत के घाट उतार दिया। मुनाज़िर उसके घर के पास ही रहता था और कुछ दिनों से उसका पीछा कर रहा था। लड़की ने मकान मालिक से शिकायत कर दी जिसकी कीमत उसे जान देकर चुकानी पड़ी। हत्यारे मुनाज़िर ने जिस चाकू से लड़की पर हमला किया वो उसके घर में ही बकरा काटने के लिए इस्तेमाल होता था। आसपास के दुकानदारों ने मोहम्मद मुनाजिर को किसी तरह पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। वो दुकानदारों पर भी चाकू भांज रहा था, इसलिए उसे काबू करने के लिए लोगों को उसे पीटना भी पड़ा।

दिल्ली के अखबारों में भी सुबह खबर गायब थी। चैनलों के मुताबिक ये ‘सिरफिरे आशिक की करतूत’ थी। रिपोर्टर लड़की के पड़ोसियों से खोद-खोदकर पूछते रहे कि क्या दोनों के बीच कोई चक्कर था? ताकि लड़की को बदचलन साबित किया जा सके। जब कहीं कुछ नहीं मिला तो दोपहर से खबर चलनी शुरू हुई कि “दिल्ली में भीड़ का अंधा कानून, लड़की की हत्या, लड़के पर जानलेवा हमला”। एक लड़की की हत्या छोटी खबर बन गई और मॉब लिंचिंग का एजेंडा ऊपर हो गया।

साभार चंद्र प्रकाश जी