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राफेल का चुनाव कैसे किया गया ?
भारतीय वायुसेना ने राफेल को ही क्यों चुना ?
"भारतीय राफेल vs चीनी जे-20 vs पाकिस्तानी एफ-16"

भारतीय वायु सेना ने राफाल का चुनाव MMRCA के अंतर्गत एफ 18 सुपर हॉर्नेट, एफ-16 फाइटिंग फाल्कन, मिग 35, यूरोफाइटर टाइफून, डसाल्ट राफाल, साब ग्रिपेन, को भारत के सबसे ठंडे वातावरण, सबसे गर्म वातावरण, सबसे नमी वाले वातावरण, रेगिस्तान के वातावरण, सबसे ऊंचाई वाले क्षेत्र में टेस्ट किया, और उसके बाद रफाल को उसके प्रदर्शन के आधार पर सेलेक्ट किया,

वास्तविकता यह है की रफाल 4.5 जनरेशन का सबसे उत्कृष्ट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट है जो कि एयर सुपीरियोरिटी, एयर टू ग्राउंड अटैक, इंटरसेप्टर, ग्राउंड एयर स्पोर्ट व् स्ट्रेटेजिक बॉम्बर का रोल निभा सकता है, जिसका एक मिशन के बाद टर्नअराउंड टाइम सबसे कम है, रेड फ्लैग एक्सरसाइज में डसाल्ट राफाल, एफ-22 रैप्टर को भी हरा चुका है, और राफाल भारत को ना केवल पाकिस्तान के ऊपर बल्कि चीन के ऊपर भी एयर सुपिरियोरिटी देता है,

भारत के रफाल खरीदने के निर्णय से केवल पाकिस्तान ही नहीं अपितु चाइना भी परेशान है, जब भारत ने रफाल की दो स्क्वॉड्रन खरीदने की बात करी उसके बाद ही चीन ने 24 सुखोई-35 हवाई जहाज रूस से खरीदने का निश्चय किया,

ये सर्वविदित है कि चीन ने जे-20 की तकनीक अमेरिका के एफ-35 के प्लांस को चोरी कर पाई है, किंतु उनके पास उसके पूरे प्लान्स नहीं हैं इसी कारण उनको सुखोई 35 खरीदना पड़ रहा है, इसके अलावा अपने जे-20 में अब चीन को अपना घरेलू इंजन छोड़कर रूसी इंजन प्रयोग करना पड़ रहा है जो कि किसी भी ओर से पांचवी पीढ़ी के फाइटर जेट के स्थापित मानकों पर खरा नहीं उतरता, और रफाल सफरन का इंजन प्रयोग करता है जिसका की सर्विसिबिलिटी रेट उत्कृष्ट है जो युद्ध के समय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है,

एक ओर भारत ने S-400 का सौदा कर अपने एयरस्पेस को अभेद बनाने का कदम उठाया है, रफाल जैसा फाइटर लिया और अपने आर्सेनल में अधिकाधिक ब्रह्मोस को इंडक्ट किया है, जिसकी काट ना पाकिस्तान के पास है ना चीन के पास, और इसीलिए पाकिस्तान और चाइना भारत की राफेल डील को रद्द कराने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए थे, और इस काम में उनकी सहायता कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी पार्टी कर रहे थे।

साभार: रोहन शर्मा भाई

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