Ghanshyam Prasad's Album: Wall Photos

Photo 1,299 of 5,346 in Wall Photos

#मूर्ख_हिन्दू_का_साई_पाखण्ड: #भाग_एक

साई एक मुल्ला था, और साई का बाप एक गद्दार लूटेरा था !!
शिरडी में सेकुलर लोगो ने साई की कब्र के ऊपर हिन्दू समाधि बना दी, और साई के नाम के पीछे राम लगा के मूर्ख हिन्दुओ के पैसे लूटे !!

साई का इतिहास,,,,,,

बीरगति को प्राप्त हुई #रानी_लक्ष्मी_बाई को मरवाने वाले गद्दारो के बारे मे इतिहास लोगों में अब तक यही धारणा है कि झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई अँग्रेजों से लड़ते हुए वीर गति को प्राप्त हुई थी और यह बात सत्य भी हे परंतु कितने लोगों को पता है कि इस विरांगना को पकड़ना अँगरेजों के लिए दुष्कर ही नहीं बल्कि असंभव था ।

सालों से अँगरेजों के नाकमें दम करने वाली रानी को पकड़ने के लिए जब अंग्रेजों को कुछ उपाय नहीं सुझा तब उन्होंने पुराने तरीके आजमाए । यानी कि किसी गद्दार सैनिक की खोज जो रानी की सेना में हो और रानी के बारे में काफी कुछ जानता हो।

गद्दारों का इतिहास देखें तो सिर्फ दो नाम ऐसे हें जिन्होंने भारत के इतिहास को बदल कर रख दिया था पहला गद्दार जयचंद था जो हिन्दू साम्राज्य के विनाश का कारण बना । पृथ्वी राज चौहान अंतिम हिन्दू राजा थे जिनके बादआठ सौ वर्षों तक मुस्लिमों ने शासन किया दूसरा गद्दार मीर जाफर हुआ जो बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला का सेनापति था। वह महत्वाकांक्षी एवं लालची था भारत में अंग्रेजी राज्य की नींव बंगाल से ही पड़ी थी जब प्लासी की लड़ाई में अँगरेजों (रॉबर्टक्लाइव) ने नवाब को हराया था और उसी लड़ाई में गद्दार मीर जाफर अँगरेजों से मिल गया था। बाद में यानी 1757 में अँगरेजों ने उसे बंगाल का नवाब बनाया ।

अब आते हे तीसरे गद्दार पर जो रानी लक्ष्मीबाई की मौत का कारण बना वह था बहरूद्दीन यानी कि चाँद मियाँ ( साँईंबाबा) का बाप बहरूद्दीन एक अफगानी पिंडारी मुसलमान था रानी लक्ष्मीबाई की सेना में लगभग 500 पिंडारी सैनिक थे जिसमें साँईं के पिता का स्थान रानी के निकटतम एवं विश्वस्त सैनिको में था अब अँगरेजों ने बहरूद्दीन को लालच देकर रानी से गद्दारी करने को तैयार कर लिया इसी के निशान देही पर अँगरेजों ने रानी को घेरा। रानी अपने इकलौते बेटे को पीठ पर बाँधे भागती रही अंग्रेज पीछा करते रहे रानी हाथ नहीं लगी।

अब रानी का पीछा करने का जिम्मा पाँच पिंडारियों को दिया गया जिसमें एक शिर्डी वाले चाँद मिया उर्फ़ साईँ का पिता भी था उसे रानी के छिपने के स्थानों का पता था अन्ततः रानी को घेर लिया गया। रानी रणचण्डी की तरह माँ भारती की शान को ना झुकने का प्रण लिए अपनी तलवार से कत्लेआम मचाती रही अंग्रेज सेनापति हैरान था कि कैसे एक अकेली महिला उसके सैनिकों को काट रही है ।रानी गिरती फिर उठती फिर गिरती फिर उठकर लड़ती कईयों की गर्दनें उड़ा देने के पश्चात अंत में उनकी तलवार उनके हाथों से दूर जा गिरी। हार फिर भी ना मानी वो अपनी तलवार लेने के लिए अंतिम बार उठी , निहत्था पाकर पिंडारी सैनिकों ने रानी पर जोरदार वार किया , रानी फिर कभी नहीं उठी। रानी वीर गति को प्राप्त कर चुकी थी भारत की इस बेटी ने अपनी अंतिम साँस तक अपनी मातृभूमि की, अपने देश की रक्षा की इस महान विरांगना के चरणों में मैं शीष नवाता हूँ।
संजय द्विवेदी