Tannu saini's Album: Wall Photos

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Suno,,,,,

*औरत* जी कर भी
*जी नहीं पातीं...*
और
*चैन से मर भी नहीं पातीं...*

अटका रह जाता *उसका मन...*

अपनी *औलाद* में,
*ससुराल* या *परिवार* में...

*करवाचौथ* की *तपस्या,*
या फिर *तीज* में, *त्यौहार* में...

*माँ के आँचल* में,
*मायके की चलपल* में...

*घर के आंगन* में,
*चार दीवारों के प्रांगन* में...

जब तक जीती हैं
*भागा दौड़ी* में ही
निकल जाता है *वक़्त...*

और
जब आखिर चली जाती हैं तो,
छोड़ जाती हैं...

अपना *अंश...*
अपना *वंश...*
अपनी *यादें...*
अपनी *निशानियाँ...*
*ढेर सारी कहानियाँ...*
कुछ *बातें...*
कुछ *वादे...*
अपना सब *कुछ..*
छोड़ जाती हैं,

छोड़ जाती है घर के कोने-कोने में,
*दुनिया के दिखावटी रुख को...*
और *थोड़ा-थोड़ा ख़ुद को...* ✍