प्रार्थना करूँगी कि
तुम एक आकाश हो जाना
निस्सीम जिसका कोई
आदि हो ना अंत
तुम अपनी जीवन के
कर्म को ही अपनी
आराधना बना लेना
तुम महत्वकांशा होना
लेकिन उसका तेज
अपनी बुद्धि पर न चढ़ने देना
करुणा रखना लेकिन
किसी मे आसक्ति नही रखना
जीवन मे चुन लेना राहे
कठिन या सरल
आँखे मूंद कर तुम
पहुँच जाना अपनी मंज़िल
जैसे ताओ हमे सिखाते है
आहिस्ते -आहिस्ते मन के तार
को सन्तुलित रखना
और खोजना जीवन के पहलू को
तुम भी खोज लेना
जीवन के अर्थ को
तुम खुद का अन्वेषण
कर लेना भीड़ से
हटकर संभव हो अगर
इस जीवन को सार्थक
बनाना और
एक अंतिम प्रार्थना
तुम्हारे जीवन में प्रेम आये
जैसे मिट्टी में बीज फटने पर
उग आते है नन्हें पौधे
और वो एक दिन बन
जाते है वृक्ष
रहते है स्थिर
अंतिम क्षण तक
तुम्हारे साथ ।