Harshdeep Singh Teja's Album: Wall Photos

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क्या भारत और पाकिस्तान के युद्ध की कोई संभावना है?
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जैसे जैसे भारत में ऍफ़ डी आई आएगी वैसे वैसे भारत-पाकिस्तान के युद्ध की सम्भावना बढती जायेगी। इसमें भारत की स्थिति एक ऊंट की है। और अमेरिका चीन का किला तोड़ने के लिए भारत का इस्तेमाल एक ऊंट की तरह कर रहा है।
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X किले का गेट तोड़ने के लिए Y का इस्तेमाल ऊंट की तरह कर रहा है !!
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गुजरात में एक कहावत है : Z के किले का गेट तोड़ने के लिए X ऊंट के रूप में Y का इस्तेमाल करता है।
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और यही कहावत यहाँ घटित हो रही है जब हम कहते है कि —
अमेरिका ने भारत का किला तोड़ने के लिए पाकिस्तान का इस्तेमाल ऊंट की तरह किया, और अब अमेरिका भारत का इस्तेमाल पाकिस्तान एवं चीन को तोड़ने के लिए कर रहा है !!
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यह कहावत कैसे अस्तित्व में आयी ?
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सैकड़ों साल पहले, आक्रमणकारी किले के दरवाजे तोड़ने के लिए हाथियों का इस्तेमाल करते थे। हाथी के सिर पर एक कवच लगाया जाता, और हाथी दौड़ता हुआ जाकर अपने सर से दरवाजे पर टक्कर मारता, और दरवाजा टूट जाता।
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फिर किले वालो ने दरवाजे पर लोहे के 2 फीट लंबे भाले लगाने शुरू कर दिए। अब हाथी दरवाजे को टक्कर मारता तो भाले हाथी के शरीर में घुस जाते और हाथी मर जाता।
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आक्रमणकारियों ने नई तरकीब निकाली। उन्होंने हाथी और दरवाजे के बीच ऊंट को रखना शुरू किया। ऊँट को रस्सियों से बांध कर रखा जाता और यह हाथी के साथ चलता था। हाथी ऊंट के शरीर को धक्का मारता जिससे भाले ऊंट के शरीर में घुस जाते। हाथी द्वारा लगाया गया बल दरवाजे को तोड़ देता, लेकिन हाथी को कुछ न होता था।
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अब किले वालो ने नयी युक्ति लगायी। जब हाथी किले की और आता तो वे एसिड और आग के गोले फेंकना शुरू कर देते। इससे हाथी और महावत आगे नहीं बढ़ पाते थे।

फिर आक्रमणकारीयों ने इसका तोड़ निकाला : उन्होंने ऊंट को प्रशिक्षित करना शुरू किया। ऊंट को कई दिनों तक भूखा रखकर शराब पिलायी जाती। और फिर एक गत्ते से बने दरवाजे पर हमला करने के लिए उकसाया जाता। जब ऊंट दरवाजे से टकराता तो गत्ते का दरवाजा टूट जाता, और इसके एवज में ऊंट को खाना दिया जाता। चूंकि दरवाजा गत्ते से बना होता था, इसीलिए ऊंट को कोई चोट नही आती थी।
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ऊंट के साथ बार बार ऐसा किया जाता था, ताकि ऊंट को इसका अभ्यास हो जाए। ऊंट को भूखा रखा जाता, शराब पिलायी जाती और जब वह गत्ते का दरवाजा तोड़ देता तो उसे खाना दिया जाता। इस तरह ऊंट के दिमाग में यह बात बैठ जाती थी कि दरवाजे से टकराने से उसे कुछ नहीं होता है, बल्कि खाना मिलता है।
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और जब युद्ध होता था तो इस प्रकार सधाए गए कई भूखे प्यासे ऊंटों को किले के दरवाजे पर छोड़ दिया जाता था। ऊंट यह सोचकर किले के दरवाजे से जाकर टकराते थे कि उसे कोई चोट नहीं पहुंचेगी। लेकिन युद्ध के दिन दरवाजे से टकराकर ऊंट मर जाता। एक के बाद एक कई सारे ऊंट किले के दरवाजे से टकराते जिससे दरवाजे में दरारे पड़ जाती, और दरवाजा टूट जाता।
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तो इस तरह आक्रमणकारी किले के दरवाजे तोड़ने के लिए ऊंट का इस्तेमाल करते थे। और इसी कारण से ये कहावत चलन में आई कि - "कैसे किसी दरवाजे को तोड़ने के लिए किसी का इस्तेमाल ऊंट की तरह किया जाता है"।
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यह कहावत तब लागू होती है जब A, C को चोट पहुँचाने के लिए B का इस्तेमाल करता है। इस प्रक्रिया में B को सब तरफ से मुफ्त में नुकसान होता है, किन्तु B यह मानकर किले के दरवाजो पर जाकर सिर दे मारता है, क्योंकि उसे यह विश्वास दिला दिया जाता है कि उसे लाभ होगा !!
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इसका एक उदाहरण कारगिल युद्ध है। 1997 में वाजपेयी सरकार ने अमेरिका और रूस की इच्छा के खिलाफ जाकर पोखरण -2 किया। और फिर बीमा एवं मीडिया में भी एफडीआई की अनुमति देने से इनकार किया। कुछ राष्ट्रवादियो द्वारा वाजपेयी पर WTO छोड़ने और भारत से अमेरिकी कंपनियों को हटाने का भी दबाव डाला जा रहा था।
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तब भारत को सबक सिखाने के लिए अमेरिका ने पाकिस्तान को उंचाई पर काम आने वाले हथियारों की मदद देना शुरू किया। अमेरिकियों ने पाकिस्तान से वादा किया था कि, यदि वे कारगिल पर चढ़ायी करते है तो उन्हें अमेरिका काफी मदद देगा। अमेरिका ने भारत के गृह मंत्रालय एवं रक्षा विभाग में भी सेंध लगायी और, उस सेटेलाईट को बंद करवाना सुनिश्चित किया जो कारगिल के इलाके पर सर्विलांस रखता था।
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कारगिल युद्ध के दौरान भारत लगातार हार रहा था। जीतने का कोई संकेत नहीं था। भारत के 400 से अधिक सैनिक शहीद हो चुके थे, और हम 4 लड़ाकू विमान खो चुके थे।
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और अंत में, वाजपेयी ने अमेरिका की सभी शर्तें मानी - परमाणु परीक्षण कार्यक्रम बंद कर दिया गया, बीमा, बैंकिंग और मीडिया में एफडीआई की अनुमति दी गयी। तब अमेरिका ने पाकिस्तान को आदेश दिया कि वे अपनी सेना कारगिल से हटा लें। लेकिन पाकिस्तान नहीं माना। और तब अमेरिका ने फ्रांस से भारत को लेजर गाइडेड बम देने को कहा। और फिर लेजर गाइडेड बम का इस्तेमाल करते हुए, भारत ने 2-3 सप्ताह के भीतर ही जीत हासिल कर ली !!
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कुल मिलाकर, अमेरिका ने भारत का किला तोड़ने के लिए पाकिस्तान का इस्तेमाल ऊंट की तरह किया था !!
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और अब जैसा की आप देख रहे है , अमेरिका चीन एवं पाकिस्तान का किला तोड़ने के लिए भारत को ऊंट की तरह इस्तेमाल कर रहा है। जल्दी ही आप सोशल मीडिया पर काफी ऊँटो को यह पोपाट करते देखेंगे कि, भारत को चीन / पाकिस्तान पर हमला कर देना चाहिए !! क्योंकि पेड मीडिया उन्हें इस तरह की अफीम दे रहा है !!
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और यह अफीम नीति इसीलिए काम भी करती है क्योंकि पेड मीडिया नागरिको से निम्न तथ्य छिपा लेता है :
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कि भारत की सेना अपने 80% हथियार आयात करती है, और हम लड़ने के लिए हथियार जुटाने के लिए अमेरिकियों पर बुरी तरह से निर्भर है। जबकि चीन अपने सभी हथियारों का उत्पादन स्वयं करता है।
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कि भारत के 99% नागरिक हथियार विहीन है।
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कि जब भारत का पाकिस्तान से युद्ध होगा तो अपना निवेश बचाने के लिए चीन को युद्ध में आना पड़ेगा।
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और जैसे ही चीन युद्ध में आता है भारत के पास अपने आप को बचाने के लिए अमेरिकियों की शरण में जाने के सिवाय कोई मार्ग नहीं रहेगा।
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और तब अमेरिका भारत की सेना, जमीन और संसाधनों का इस्तेमाल करके भारत को एक ऐसे युद्ध में धकेल देगा जिसमे भारत एवं चीन दोनों तबाह हो जायेंगे।
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तो इस तरह का प्रसारण करके भारत के नागरिको को पाकिस्तान की तरफ जाकर टकरा जाने के लिए ऊँटो की तरह सधाया जा रहा है। और जब पाकिस्तान के सामरिक बम और चीन के रूप में नुकीले नेजे सामने आयेंगे तो बड़े पैमाने पर ऊंट मरना शुरू करेंगे !!
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समाधान :
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लोकल मेनुफेक्चैरिंग इम्प्रूव किये बिना भारत अपनी सेना को आत्मनिर्भर नहीं बना सकता। और जब तक भारत अपनी सेना को अमेरिका के बराबर ताकतवर न बना ले तब तक हम इस प्रक्रिया को रोक नहीं सकते।
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भारत में अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का नियंत्रण बढ़ता जा रहा है, और यदि ऍफ़ डी आई को रोककर हमने स्वदेशी हथियारों का उत्पादन शुरू नहीं किया तो, आज नहीं तो कल अमेरिका हमारा हमारी जमीन, सेना एवं संसाधनों का इस्तेमाल चीन के खिलाफ करने में सफल हो जायेगा। यदि आप गौर करेंगे तो देख पायेंगे कि पिछले 10 साल से सारी राजनैतिक घटनाएं इसी युद्ध की तैयारी की दिशा में घट रही है !!
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आधुनिक हथियारों का उत्पादन करने के लिए हमें 4 क़ानून चाहिए
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(1) जूरी कोर्ट
(2) रिक्त भूमि कर
(3) हथियार निर्माण में लाइसेंस राज की समाप्ति
(4) डिफेन्स में ऍफ़डीआई पर रोक
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