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विश्व सायकिल दिवस
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साइकिल की विशेषता और बहुमुखी प्रतिभा को पहचानने के लिए 3 जून को अंतर्राष्ट्रीय विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है. कहा गया है कि शहरवासी अपने आसपास की दूरी तय करने के लिए साइकिल का इस्तेमाल करें, तो इससे प्रतिदिन सैकड़ों लीटर पेट्रोल की खपत कम होगी. वहीं शहर का प्रदूषण स्तर भी कम होगा. साथ ही जो लोग साइकिल चलाते हैं, उनका मानना है कि इससे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी होता है।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा पहला आधिकारिक विश्व साइकिल दिवस 3 जून, 2018 को मनाया गया था. यह दिवस परिवहन के एक सरल, किफायती, भरोसेमंद और पर्यावरण की सुरक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है।

इतिहास

यूरोपीय देशों में साइकिल के प्रयोग का विचार लोगों के दिमाग में 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में ही आ चुका था, लेकिन इसे मूर्तरूप सर्वप्रथम सन् 1816 में पेरिस के एक कारीगर ने दिया. उस यंत्र को हॉबी हॉर्स, अर्थात काठ का घोड़ा, कहते थे. पैर से घुमाए जानेवाले क्रैंकों (पैडल) युक्त पहिए का आविष्कार सन् 1865 ई. में पैरिस निवासी लालेमें (Lallement) ने किया. इस यंत्र को वेलॉसिपीड (velociped) कहते थे. इसपर चढ़नेवाले को बेहद थकावट हो जाती थी. अत: इसे हाड़तोड (bone shaker) भी कहने लगे. इसकी सवारी, लोकप्रिय हो जाने के कारण, इसकी बढ़ती माँग को देखकर इंग्लैंड, फ्रांस और अमेरिका के यंत्रनिर्माताओं ने इसमें अनेक महत्वपूर्ण सुधार कर सन् 1872 में एक सुंदर रूप दे दिया, जिसमें लोहे की पतली पट्टी के तानयुक्त पहिए लगाए गए थे. इसमें आगे का पहिया 30 इंच से लेकर 64 इंच व्यास तक और पीछे का पहिया लगभग 12 इंच व्यास का होता था. इसमें क्रैंकों के अतिरिक्त गोली के वेयरिंग और ब्रेक भी लगाए गए थे.

भारत में साइकिल का इतिहास

भारत में भी साइकिल के पहियों ने आर्थिक तरक्की में अहम भूमिका निभाई. 1947 में आजादी के बाद अगले कई दशक तक देश में साइकिल यातायात व्यवस्था का अनिवार्य हिस्सा रही. खासतौर पर 1960 से लेकर 1990 तक भारत में ज्यादातर परिवारों के पास साइकिल थी. यह व्यक्तिगत यातायात का सबसे ताकतवर और किफायती साधन था. गांवों में किसान साप्ताहिक मंडियों तक सब्जी और दूसरी फसलों को साइकिल से ही ले जाते थे. दूध की सप्लाई गांवों से पास से कस्बाई बाजारों तक साइकिल के जरिये ही होती थी. डाक विभाग का तो पूरा तंत्र ही साइकिल से चलता था. आज भी पोस्टमैन साइकिल से चिट्ठियां बांटते हैं.

साइकिल चलाने के फायदे

- रोजाना आधा घंटा साइकिल चलाने से पेट की चर्बी कम होती है. रोजाना सुबह के वक्त साइकिल चलाने से आपकी फिटनेस बरकरार रहती है.

- आप ये जानकार थोड़ा हैरानी होगी कि साइकिल चलाने से इम्यून सिस्टम ठीक तरीके से काम करता है. एक रिपोर्ट के अनुसार प्रतिदिन आधा घंटा साइकिल चलाने से इम्यून सेल्स एक्टिव हो जाते हैं और बीमार होने का खतरा कम हो जाता है.

- लगातार साइकिल चलाना घुटने और जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों को आराम पहुंचाता है.

- एक रिसर्च के अनुसार जो इंसान रोजाना 30 मिनट साइकिल चलाता है उसका दिमाग साधारण इंसान के मुकाबले ज्यादा एक्टिव रहता है और ब्रेन पाॅवर बढने के चांसेज भी 15 से 20 प्रतिशत तक बढते है.

- साइकिल सबसे सस्ता साधन है. जहां आपको दूसरी गाड़ियों में तेल के लिए पैसे खर्च करेने होंगे. वहीं आपको साइकिल में ऐसा कुछ करने की आवश्यकता ही नहीं है. स्वास्थ्य के साथ-साथ साइकिल आपके पैसे बचाने का काम भी करती है.
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