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साई बाबा उर्फ चाँद मियां का जीवन चरित्र
(Post no -1) - आर्य मीत
आज से हम साई बाबा के जीवन चरित्र को उजागर करने वाले है जिसे पढकर हिंदू स्वयं ही जान जायेगा की साई क्या था क्या उसकी सोच थी।
हमारे बहुत से हिंदू भाई बहन साई बाबा नाम के इस शख्स को आज श्री राम जी, श्री कृष्ण जी, हनुमान जी से भी ऊपर समझकर इसकी पूजा करते है, इसे भगवान बनाकर रख दिया है ।

कभी इसके जीवन के बारे मे जानने का प्रयास ही नही किया और भेड चाल मे एक के पीछे एक सब अंधभक्ति के कुएं मे गिरते जा रहे है ।

साई बाबा एक यवन मुस्लिम था जो भीख मांगकर अपना गुजारा चलाता था, मगर हिंदूओ के अंधविश्वास का फायदा उठाकर इसने शिरडी आकर झाड़ फूंक का काम शुरू किया और मस्जिद मे रहने लगा ।

धीरे धीरे आजकल के बाबा की तरह इसने भी चेले रखने शुरू किये जो चमत्कार के नाम से साई बाबा द्वारा लोगो के संकट दूर करने का दावा करते । अब लोग थे भोले भाले अंधविश्वासी, किसी को अपनी पुत्र की शादी करवानी तो किसी को पुत्र नही हो रहा था तो पुत्र चाहिए था किसी को छोटी मोटी बिमारी थी । अपने चेलो द्वारा मार्केटिंग करवाने पर साई का धन्धा ठीक ठाक चलने लगा ।।
अब लोगो की जरूरत ही थी छोटी मोटी वो तो अपने आप भी पुरी हो जाती है सो भोली भाली जनता आ गयी इसकी चंगुल मे । अब ये तो ठहरे यवन मुस्लिम।
चाँद मियां को गुस्सा आता तो अपने भक्तों को गालिया देने लगते कभी पथर मारने लगते ।
और अल्लाह हु अकबर यानि, अल्लाह मालिक सदेव इनके होठों पर रहता था ।
अब हिंदू पता नही किस आधार पर इसे भगवान बनाने पर तुले हुए है ये तो एक सभ्य इंसान तक नही था।
जो गाली देता हो, पत्थर मारता हो, बीड़ी चिलम पीता हो, नमाज पढता हो उस यवन मुस्लिम साई बाबा को हिंदू समाज पूज रहा है ।
पता नही कब अकल आयेगी हमारे भाइयों को ।
कहाँ मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम चन्द्र जी
कहाँ बाल ब्रह्मचारी वीर हनुमान जी
कहाँ योगीराज श्री कृष्ण जी
और कहाँ ये मांस खाने वाला बकरे हलाल करने वाला गालिया देने वाला यवनी

ये साई बाबा तो श्री राम कृष्ण हनुमान जी के पैरो की धूल के बराबर भी नही हो सकते जिसे भगवान बनाने पर खडे हो, ईश्वर तो सर्वज्ञ, निराकार, चेतन, सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी होता है ।
मगर इनको वही साई बाबा की मजार पर माथा फोडना है ।
जो जीते जी अपनी खुद की बिमारी ही नही ठीक कर सका उससे तुम चमत्कार की अपेक्षा रखतै हो ।

(साई सतचरित्र जिसके प्रमाणों के आधार पर यह पोस्ट लिखी गई है, साई बाबा ने खुद अपने जीते जी लिखवाई थी अपने एक चेले रघुनाथ दाभोलकर द्वारा जिसे शिरडी साई ट्रस्ट प्रकाशित करता है ।)
कोई साई भक्त इस पुस्तक को झूठा भी नही कह सकता ।