ईश्वर 'समष्टि' क्यों नहीं हो सकता है?
पदार्थ ओर शक्ति मिलकर हि सृष्टि तथा ईश्वर है । अगर पदार्थ ओर शक्ति का भी मुल रुप ऊँ है तो भी प्राण एवं चेतना या ईश्वरत्व उसमे नही हो सकता।
ऋषि भी बताते है कि ईश्वर का कोई रुप नही मन नही चेतना नही कान नही जिव्हा नही आखें नही है।(मुन्डकोपनिषद)
ईसलिए उसे पुजा करे या ना करो उसे फर्क क्या पडेगा? इसिलए प्रकृति ही पूज्य हैं।