#रूसी सहयोग से बनी #भारतीय सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की लागत बीस करोड़ रूपए है.
यानि पांच मिसाइल दाग दीं तो एक अरब रूपया स्वाहा. एक राफेल फाइटर जेट की कीमत साढ़े सोलह अरब रूपए है.
रूस को ताजा दिए गए इक्कीस मिग 29 और बारह सुखोई 30 लड़ाकू विमानों के ऑर्डर की कीमत साठ अरब रूपए है.
इसका चालीस अरब रूपए भुगतान कर दिया गया है.
रूस से ही खरीदे जा रहे मिसाइल रोधी सिस्टम S 400 की कीमत चालीस अरब रूपए है. चिनूक, अपाचे ये सब मुफ्त में नहीं मिले हैं इनपर अरबों खरबों खर्च हुआ है.
तोप का एक एक गोला लाखों रूपए का है. छोटी से छोटी मिसाइल भी एक करोड़ से ऊपर की है.
मत भूलिए कांग्रेस किस तरह सेना को नंगा बूचा छोड़ कर गई थी. सैनिक फटे जूते पहने घूम रहे थे. न गोला बारूद बचा था न मनोबल. सेना के बार बार चेताने पर भी सैन्य साजोसामान नहीं खरीदा गया और रक्षा सौदों में आपराधिक देरी हुई.
बरसों पुराने लड़ाकू विमान उड़न ताबूत कहलाये जाने लगे.
डीजल पेट्रोल पर मत रोओ, कम से कम युद्धकाल में तो चुप रहो.
देश बचेगा तो तुम बचोगे और जब तुम बचोगे तभी डीजल पेट्रोल खरीद पाओगे.
शत्रु तीन तरफ से सीमा पर घात लगाए बैठा है और तुम डीजल पेट्रोल के दामों पर कपड़े फाड़ रहे हो.
तुम्हें पाकिस्तान और चीन की गर्दन भी मरोड़नी है और डीजल पेट्रोल भी चालीस रूपए लीटर चाहिए.
कुछ तो शर्म करो...