Himanshu Upadhyay's Album: Wall Photos

Photo 5 of 33 in Wall Photos

यह तस्वीर 1948 में लंदन ओलम्पिक खेल रही भारतीय फुटबॉल टीम की है।
–स्वतंत्र भारत की फुटबॉल टीम के पास इतने पैसे नहीं थे कि जूते खरीद सकें।
– कुछ खिलाड़ी जुराबें (socks) पहनकर खेलते थे और बाकी नंगे पाँव।
– यह वो समय था जब प्रधानमंत्री नेहरू के परिवार के कपड़े ड्राईक्लीन होने पेरिस जाते थे। उनकी सिगरेट मँगाने के लिए विशेष विमान भेजा जाता था।
– पहले मैच में भारत ने फ्रांस को 1-1 से बराबर रखा। आखिरी मिनट में गोल से भारत हार गया।
– शानदार खेल के लिए भारतीय खिलाड़ियों को दर्शकों ने Standing Ovation दिया था।
– इसके बाद टीम ने 1950 में ब्राज़ील में फीफा वर्ल्ड कप फुटबॉल के लिए क्वॉलीफाई किया।
– परंतु अंतिम समय पर टीम को भेजने से मना कर दिया गया।
– देश को बताया गया कि फ़ीफ़ा ने नंगे पाँव (Barefoot) फुटबॉल खेलने पर पाबंदी लगा दी है।
– आयोजकों को बताया गया कि भारत गरीब देश है। वहाँ तक आने के पैसे हमारे पास नहीं।
– फीफा ने कहा कि वो चाहते हैं कि भारत जैसी प्रतिभावान (Talented) टीम वर्ल्ड कप में आए।
– उन्होंने सभी भारतीय खिलाड़ियों के आने-जाने और ठहरने का खर्चा उठाने का एलान किया।
– लेकिन नेहरू की सरकार ने टीम नहीं भेजी (तब एसोसिएशन सरकार के तहत था)
– वर्ल्ड कप की तैयारी कर रही टीम का मनोबल बुरी तरह से टूट गया।
– तब से आज तक भारत कभी भी फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप के लिए क्वॉलीफाई नहीं कर सका।
– उसके बाद भी फुटबॉल टीम के खिलाड़ियों को जूते नहीं दिए गए।
– उस दौर में भारतीय टीम के कैप्टन शैलेंद्रनाथ मन्ना वर्ल्ड के टॉप-10 कप्तानों में से एक थे।
– कुछ साल बाद उन्होंने भारतीय फुटबॉल टीम के साथ हुए इस धोखे की कहानी बता दी।
– आज भारत में 7 बड़े फुटबॉल स्टेडियमों में से 3 के नाम नेहरू के नाम पर हैं।
– एक स्टेडियम नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी के नाम पर है।
– भारत में जब फीफा का अंडर-17 वर्ल्ड कप हुआ तो विदेशी खिलाड़ियों ने समझा कि जवाहरलाल नेहरू शायद भारत के महान् फुटबॉलर होंगे।
– आज 70 साल बाद देश के वास्तविक महान् फुटबॉलर शैलेंद्रनाथ मन्ना को कोई नहीं जानता।