गगन शर्मा's Album: Wall Photos

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पंढरपुर में एक साहूकार भगवान विट्ठलनाथ का भक्त था। उसे पुत्र हुआ तो उसने भगवान विट्ठलनाथ के विग्रह के लिए स्वर्ण की एक करधनी बनबाने का संकल्प लिया। साहूकार ने नगर के सर्वश्रेष्ठ स्वर्णकार नरहरि से संपर्क किया। नरहरि भगवान शिव का अनन्य भक्त था और वह कभी विट्ठलनाथ जी के मंदिर नहीं गया था। इसलिए जब साहूकार ने स्वर्णकार से भगवान विट्ठलनाथ के लिए करधनी बनाने को कहा तब स्वर्णकार ने साहूकार को विट्ठलनाथ जी की कटि का माप लाने को कहा। साहूकार द्वारा दिये गए परिमाण के आधार पर नरहरि ने करधनी बना दी पर वह कुछ छोटी रह गयी। तब साहूकार के कहने पर नरहरि ने उसे कुछ बड़ा कर दिया तो इस बार वह कुछ ढीला रह गया। ऐसी स्थिति में साहूकार ने नरहरि से स्वयं चलकर परिमाण के लिए आग्रह किया।

नरहरि ने साहूकार से कहा की वह चलने के लिए तैयार है परंतु वह मात्र भगवान शिव के मंदिर जाता है इसलिए उसके चक्षुओं पर पट्टी बांधकर उसे ले जाया जाय। साहूकार ने उसकी बात मान ली। जब नरहरि मंदिर में जाकर भगवान विट्ठलनाथ की मूर्ति के समक्ष चरणों में झुका तब उसे प्रतीत हुआ भगवान शिव नृत्य कर रहे हैं और जब कटि का स्पर्श किया तब उसे प्रतीत हुआ मूर्ति की कटि पर सर्प लिपट रहे हैं। उसे प्रतीत हुआ यह तो भगवान शिव की मूर्ति है।

नरहरि जी ने सोचा साहूकार कहीं मुझे शिवालय तो नही ले आया।

यह सोचकर नरहरि अपने आराध्य देव के दर्शन के लोभ से बच नहीं पायेे और नरहरि ने अपने चक्षुओं से पट्टिका हटाई लेकिन वह शिवजी कि मूर्ति नही थी वहां तो भगवान विट्ठलनाथ खड़े थे । नरहरि ने पुनः पट्टी बाँधकर टटोलने का प्रयास किया तो पुन: भगवान शिव की मूर्ति का आभास हुआ।

नरहरि जी असमंजस में पड़ गये।

तब ही आकाशवाणी हुई-समस्त भगवान एक हैं नरहरि, तू भेद क्यों करता है

नरहरि जी को ईश्वराद्वैत समझने में देर नहीं लगी।
उन्हे समझ में आ गया कि दोनों एक ही "हरिहर" हैं। वे व्यर्थ ही उनमे भेद मानते आ रहे थे।

नरहरि जी ने प्रभु से क्षमा मांगी।
वे प्रसन्नता से चिल्ला उठे - विश्व के जीवनदाता! मैं आपकी शरण में आया हूँ।
आपने मेरे मन का अज्ञान और अन्धकार दूर कर दिया।

भगवान विट्ठलनाथजी ने भी प्रसन्न होकर अपने सिर पर शिवलिंग धारण कर लिया।
तब से लेकर आज तक पंढरपुर के विट्ठल भगवान के सिर पर शिवलिंग विराजमान हैं।

नरहरि के मन का भ्रम दूर हो गया और उसके ज्ञान चक्षु खुलने के उपरांत नरहरि ने भगवान के लिए एक सुंदर करधनी का निर्माण कर दिया।