#ध्यान_रहे... ये वही शरद पवार है...
12 मार्च 1993 को मुम्बई में दाऊद इब्राहीम गैंग ने 12 स्थानों पर बम विस्फोट कर के 257 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. लगभग डेढ़ हजार लोग बुरी तरह घायल हुए थे. यह सभी 12 बम विस्फोट चिन्हित कर के उन स्थानों पर किए गए थे जो पूरी तरह हिन्दू बाहुल्य थे और मुस्लिमों की संख्या उन स्थानों पर नगण्य थी. उस समय महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री शरद पवार था. बम विस्फोटों के तत्काल बाद वो सबसे पहले दूरदर्शन केन्द्र गया था और दूरदर्शन के माध्यम से जनता को संबोधित करते हुए उसने कहा था कि मुम्बई में 13 स्थानों पर बम विस्फोट हुए हैं. तेरहवें स्थान के रूप में उसने शत प्रतिशत मुस्लिम बाहुल्य वाले क्षेत्र मस्जिद बंदर का नाम भी जोड़ दिया था. जबकि सच यह नहीं था. मुम्बई में 13 नहीं बल्कि 12 विस्फोट ही हुए थे. मस्जिद बंदर क्षेत्र में कोई विस्फोट हुआ ही नहीं था.
मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे व्यक्ति शरद पवार ने बाकायदा दूरदर्शन पर सार्वजनिक रूप से वह सरासर सफ़ेद झूठ क्यों बोला था.?
उपरोक्त सवाल दंगों की जांच के लिए बने श्रीकृष्ण आयोग ने जब शरद पवार से पूछा था तो पवार ने ज़वाब में कहा था कि मैं नहीं चाहता था कि हिन्दू मुस्लिम दंगा भड़के इसलिए मैंने मस्जिद बंदर का नाम जोड़ दिया था. शरद पवार का उपरोक्त बयान सबूत है कि हत्यारे दंगाई मुसलमानों को बचाने के लिए शरद पवार ने मुस्लिम क्षेत्र में भी बम विस्फोट होने का सरासर सफ़ेद झूठ बोलकर हिन्दूओं को भी दंगाई घोषित करने का कुकर्म किया था. (तथ्य की पुष्टि के लिए सातवां कमेंट देखें)
ज्ञात रहे कि सुधाकर राव नाईक 23 फ़रवरी 1993 को मुख्यमंत्री पद से जब हटाया गया था. तब शरद पवार मुख्यमंत्री बना था. इसके केवल 20 दिन के बाद दाऊद ने मुम्बई में बेधड़क होकर बम विस्फोटों को अंजाम दिया था और सारे मुख्य अभियुक्त पूरी तरह सुरक्षित होकर मुम्बई से भागने में सफल भी हो गए थे. क्या यह ,केवल संयोग था.?
कांग्रेस की सेटिंग का कारनामा देखिये कि शरद पवार के उस कुकर्म के विरुद्ध कार्रवाई का आदेश देने के बजाय आयोग वाला वो जस्टिस श्रीकृष्ण उस समय शरद पवार पर निहाल हो गया था और उसके उस धूर्त सेक्युलरिज्म की वाह वाह करने लगा था. उसे धन्यवाद देने लगा था. उसे इस बात में कुछ भी गलत नहीं लगा था कि शरद पवार ने सफ़ेद झूठ बोलकर हिन्दूओं को अकारण ही दंगाई के रूप में प्रचारित कर दिया है. यह है वो सेक्युलरिज्म जिसकी भांग पूरे देश को पिलाना चाहते हैं सेक्युलर धूर्त.
ध्यान रहे कि ये वही जस्टिस श्रीकृष्ण था जिसने मुम्बई दंगों के लिए बाल ठाकरे समेत सैकड़ों पुलिस वालों और हिन्दू संगठनों के पदाधिकारियों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का आदेश दिया था.
अतः हिन्दूओं के खिलाफ़ सरासर सफ़ेद झूठ बोलकर उनको दंगाई सिद्ध करने का कुकर्म कर चुका शरद पवार अगर आज इस बात पर आगबबूला हो रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राम मंदिर की आधारशिला रखने अयोध्या क्यों जा रहे हैं, तो आसानी से समझा जा सकता है कि वो क्यों और किस को खुश करने के लिए आगबबूला हो रहा है.