लाइक मिलता रहे तो खुश न मिले तो फेसबुक को तिलांजलि।लेख भी कैसा-"हम तो सनम छुहारे हुए सुख गए आपकी याद में"
उसपर पढ़ने वाले कि टिप्पणी देखिए-"कम से कम छुहारा सूखने पर भी छुहारा ही रहता है भाई,मेरे ऊपर तो कोई कवच ही नही बचा, ढांचा लेकर घुम रहा हूँ।
एक लिखतीं हैं-मुझसे इस नम्बर पर बात करो।मैं तुम्हे वो सब दूंगी जो तुम्हे पत्नी से न मिला हो।
मैंने भी डायल कर दिया और कहा मैडम अच्छा खाना मिलेगा क्या? बस इसी की कमी है।
उधर से जवाब था "shut up" और फोन काट दिया।मतलब कुछ भी!
एक ने तो हद ही कर दी ,लिखता है-"बताओ कि मैं लड़का हूँ या लड़की?
अमा यार खुद ही चेक करो।हमलोग क्या लिंग जाँच करने आये हैं फेसबुक पर,हद है।
देखें कौन कितना भक्त है?जल्दी खरीदिये,लिमिटेड ऑफर, घर बैठे कमाएं,गाय ,बकरी ,मुर्गी की शादी।ऐसे लाजवाब किस्सों का भंडार है फेसबुक।
एक महाशय पिछले कई महीनों से कुछ सवाल दोहराए जा रहे थे-
कहाँ से है? क्या करते हैं?आगे का क्या प्लान है? वगैरह वगैरह।
मेरे मन मे आता इनको बता ही दूं कि "बैकुंठ से आया हूँ,अवतरित होकर' बकवादियों का नाश करूँगा और फिर श्रीराम की तरह जल में देह त्याग।
फिर सोचता हूँ क्या मतलब समझाने का,ब्लॉक करो किस्सा ख़त्म।