Ashok Sanatani's Album: Wall Photos

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#उम्मा_की_लडा़ई #कौम_लडे़गी...?
कई सारे इनपुट मिल रहे है...महाराष्ट्र से दिल्ली, दिल्ली से केरल, केरल से तमिल नाडू ये एक कोरिडोर बनाया गया है...बांग्लादेश विश्वसनीय नहीं है... पश्चिम बंगाल से दिल्ली,दिल्ली से उत्तर प्रदेश, उत्तरप्रदेश से राजस्थान...दूसरा कोरिडोर है,पंजाब बाहर है विश्वसनीय नहीं... बिहार, झारखंड, आंध्रप्रदेश, उडी़सा को सेफ जोन रखने का प्रयास है वजह काफिरों की त्वरित प्रतिक्रिया का डर भी है इन्हें... बाकी अन्य चीजें को कौम के अधीन रखा गया है... सबसे ज्यादा नेटवर्क मजबूत करने का काम सोशल मीडिया कर रही है... काफिर को दाल रोटी के अलावे बीवी बच्चों की फिक्र है,कुछ गलत देख भी लिए तो टकले बकरी खोद के बंदर पहले बनते हैं...!
खैर NIA अपने स्तर पर कार्यशील है मोदी टीम अपना काम पूरी ईमानदारी से कर रही है... लेकिन मैं खुद क्या कर रहा हूं सबसे महत्वपूर्ण ये है... रही मेरी बात तो डायरेक्ट एक्शन डे मेरे सामने हुआ नहीं और किसी किताब में जिक्र भी नहीं, फिर भी बात होगी खून खराबे की तो खून खराबे से मै डरने वाला नही... पूरी तैयारी और मुस्तेदी से अब भी लड़ रहा हूँ और आगे भी जब तक आखिरी सांस बाकी है अपने हिस्से की लड़ाई लड़ते लड़ते दूंगा आखिरी आहुति...!
खैर उम्मा हमारी सारी माॅनिटरिंग कर रहा है,बस ये सुनिश्चित हो जाय कि खलीफा कौन... हम अपनी जिम्मेदारी और कर्तव्यों को कब समझेंगें यह बातें समझनी जरुरी है, सरकार आती रहेगी जाती रहेगी वोट देकर अगर खुद को मुक्त कर रहे हो तो याद रखिए बांग्लादेश का वो वीडियो जिसमें एक बेटी की मां कह रही है "एक- एक करके बलात्कार करो... वरना मेरी बेटी मर जाएगी..."
उलेमा-ए-हिंद के पास आपकी सारी जानकारी है जो आपके पास भी आपके बारे में जानकारी नहीं है... आप अंधेरे में हैं या अंधे है यह आपके लिए बहस का विषय हो सकता है, हिंदू (सिंधू घाटी के काफिर) आपको इसलिए कहा जाता है क्योंकि तब के युद्ध में आप जीवित बच गये और भाग कर यहां वहां फैल गये, उनका युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ और तब तक खत्म नही होगा जब तक छद्म (सिख, जैन, बौद्ध, पारसी) नाम से काफिर जिंदा हैं, उनका युद्ध लगातार उनके नीतियों से चल रहा है इसलिए आपको सनातनी नहीं हिंदू (सिंधू घाटी का काफिर) कहा जाता है...उम्मा में खलीफा की घोषणा संदेहास्पद रखना उनके नीतियों का हिस्सा है, वजह केजीबी या मोसाद हो सकता है... ओसामा या बगदादी चिंहित हुए और मिटा दिये गये, मिटाने के पीछे वाले असली खिलाडी़ सामने नहीं आये... भारत का इतिहास वो जानते हैं क्योंकि उन्होने ही लिखा है इसलिए डर बिल्कुल नहीं है, हां सत्ता सपोर्ट नहीं मिल पाना एक बडी़ वजह हो सकती है, लेकिन दौर जारी है जो कुछ भी हो रहा है वो योजना का हिस्सा है... अब ज्यादा समय नहीं है आपके पास, संभले तो ठीक नहीं तो निपटा दिए जाओगे... उम्मा के दो खलीफा है हिंदूस्तान के लिए, दोनो ने ही अपने क्षेत्रों को तय कर लिया है, एक जो सामने आता है, दूसरा सामने नहीं आता है, मीडिया विंग्स को हैंडल करने वाला ही असली खलीफा है, जो वामपंथ के गठजोर से चल रहा है,बात बस ईजरायल और रुस की वजह से फंसी है, जागो अब तो आपकी तैयारी ही आपकी सुरक्षा कर पायेगी...!
और बन्द करो गरीबी का रंडी रोना दो दो हजार की शराब उड़ाने वाले गरीब नही बल्कि हराम खोर है... राष्ट्र और धर्म पुरोहता कभी कमजोरियों का ठीकरा दुसरो पर नही फोड़ते... जिनको कुछ करना होता है वो कर ही डालते है...इसलिए अपनी अपनी भूमिका चुन लो विभाजित रेखाएं साफ हो चुकी है...इधर या उधर... तुम युद्ध चाहो न चाहो युद्ध ने तुम्हे चुन लिया है... और एक आखिरी बात ये नकारत्मक बाते बन्द करो... कि असिन विराथु चाहिए भगत सिंह, चन्द्र शेखर आज़ाद, या गोडसे... फलाना ढिमका... तुम खुद क्यो नही... अपने हिस्से की लड़ाई तो लड़ो... बाकी हम देखेंगे...और हा दो दिन पहले एक पोस्ट डाली थी...धर्म योद्धाओ की बेक सपोर्ट के लिए संसाधनों हेतु तन मन धन से साथ चाहिये अपने साथ साथ तुम्हारी भी लड़ाई लड़ने के लिए...क्या हुआ...कुछ नही...?
याद रखना जिस मेरा मेरा के चक्कर मे ये इक्कठा कर रहे हो वो एक दिन भीड़ सब कुछ लूट ले जाएगी... कश्मीरियो के कोठी बंगले भी ऐसे ही लुटे गए थे... खैर में तो अपनी बकवास जारी रखूंगा मरते दम तक... अच्छी लगे तो गोर करो वरना शेर बघेरे गधे घोड़े बन सेखी बघारने की जरूरत नही... गिद्ध लाशो को नोचने की तलाश में है...बाकी कोरोना ने जन्म जात अंधो की आँखे भी खोल दी है...अब जो शुतरमुर्ग की तरह जमीन में सिर घुसो बचने की उम्मीद लगाए बैठा है...उसको जगाना भी नही अब...जय भवानी...!!!
जय सनातन, जय हिन्दू राष्ट्र