Ashok Sanatani's Album: Wall Photos

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मेरी मित्रता सूची में जितने भी छद्म नामो से घुसपैठ करके छुपे हुए आतंकी मूत्र पिसाचु #तड़ चाट कांगिए है वो सभी ध्यानपूर्वक पढना... सबूतों के साथ... सच जो में बताने जा रहा हु हालांकि उससे कांडग्रेस का थूथड बिल्कुल काला हो जाएगा लेकिन फिर भी ये सच अब तुमको सुनना ही पड़ेगा... फ़र्ज़ी नकली गांधी और फर्जी गाँधीयो के #तड़ चाटो...
देश के प्रधानमंत्री को अत्यंत अभद्रता से संबोधित करते हुए तुमने पूछा है कि लद्दाख की गलवान घाटी में कल क्या हुआ... क्यों हुआ... हमारे जवान क्यों मारे गए और हमारी जमीन लेने की चीन की हिम्मत कैसे हुई... ये सच बताने के लिए तुमको ५८ बरस पुरानी १९६२ लेहडू की तत्कालीन करतूतों और कुकर्मों को उजागर करती हुई कोई कहानी नही सुनाऊंगा... इसके बजाय ये कहानी तब की है जब देश की राजनीति और देश की सरकार तुम्हारे इर्द-गिर्द तुम्हारे इशारों पर नाचा करती थी... तो ध्यान से सुनो सफेद खच्चरी के ढेंचू ढेंचू खच्चर... लद्दाख की गलवान घाटी में कल जो हुआ और हमारे जवानों को बलिदान इसलिए देना पड़ा क्योंकि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने चीन के सामने डर से थर-थर कांपते हुए उस तरह घुटने नहीं टेके जिस तरह से यूपीए सरकार का कांगिया प्रधानमंत्री गूंगा सिंह चीन के सामने पायजामा उतार लम्बा लेट जाया करता था...?
अब बताता हूं कि गूंगा सिंह चीन के आगे लम्बा किस तरह लेट जाया करता था... १५ अप्रैल २०१३ लद्दाख में चीनी सेना की भारी घुसपैठ के बाद स्थिति का आंकलन करने लद्दाख गए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार परिषद् के तत्कालीन अध्यक्ष श्यामसरन ने वहां से लौटकर १२ अगस्त २०१३ को तत्कालीन कांगिए प्रधानमंत्री गूंगे सिंह को सौंपी गयी अपनी रिपोर्ट में बताया था कि चीन ने पूर्वी लद्दाख के डेपसांग बुग क्षेत्र में भारत की ६४० वर्ग किलोमीटर भूमि पर क़ब्ज़ा कर लिया है और चार स्थानों पर भारतीय सेना अब पेट्रोलिंग नहीं कर पा रही है... यह खबर पांच, छह और सात सितम्बर २०१३ को देश के सभी प्रमुख अखबारों, पत्रिकाओं से लेकर जापान से प्रकाशित होने वाली अन्तर्राष्ट्रीय पत्रिका "दि डिप्लोमेट" समेत दुनिया भर के संचार माध्यमों में प्रमुखता से प्रकाशित हुई थी... लेकिन खबर सिर्फ इतनी ही नहीं थी बल्कि इससे भी ज्यादा शर्मनाक खबर एक और भी थी... खबर का लिंक....
https://www.indiatoday.in/india/north/story/chinese-army-occupied-640-square-km-three-ladakh-sectors-report-209992-2013-09-05)

खबर का दूसरा अंतरराष्ट्रीय लिंक....

https://thediplomat.com/2013/09/is-china-occupying-640-km-of-indian-territory/

मई २०१३ में ही लद्दाख के चुमार इलाके में घुसी चीनी सेना की मांग पर तत्कालीन कांगिए प्रधानमंत्री गूंगे सिंह ने वहां बने सामरिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण भारतीय सेना के बंकरों को अपने हाथों से तोड़ने के लिए भारतीय सेना के जवानों को मजबूर कर दिया था... इसे कहते हैं घुटने टेकना...
चीन की जिद्द पर भारतीय सेना के बंकर तुड़वा देने की यूपीए सरकार की करतूत की खबर का लिंक...

https://m.aajtak.in/news/national/story/indian-army-dismantling-bunkers-in-chumar-area-729968-2013-05-09

अमर उजाला में प्रकाशित चीन की जिद्द पर भारतीय सेना के बंकर तुड़वा देने की यूपीए सरकार की करतूत की खबर का लिंक...

https://www.amarujala.com/news-archives/india-news-archives/indian-army-dismantling-bunkers-in-chumar-in-ladakh

पता नहीं यह बात क्यों तुमको याद नहीं है...
नकली फर्जी गांधी...उर्फ पप्पू पेजर कि २३ जनवरी २००९ को तत्कालीन यूपीए सरकार ने चीन में बने भारतीय खिलौनों की बिक्री पर जो प्रतिबंध लगाया था उस प्रतिबंध पर चीन ने नो फरवरी २००९ को खुलेआम धमकी दी थी... चीन की धमकी के सामने तत्कालीन कांगिया प्रधानमंत्री एक महीना भी नहीं टिक पाया था और २ मार्च २००९ को उसने प्रतिबंध हटा लिया था...
इसे कहते हैं घुटने टेक पिछवाड़ा उठा देना...
चीन में बने खिलौनों पर प्रतिबंध को चीन की धमकी के बीस दिन बाद ही हटा लेने की कांगिए प्रधानमंत्री की कायराना करतूत की खबर का लिंक...

https://www.indiatoday.in/latest-headlines/story/india-lifts-import-ban-on-chinese-toys-40910-2009-03-02

जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसी वर्ष जनवरी में चीन के खिलौनों पर कस्टम ड्यूटी में २०० % की वृद्धि तथा आटो और आटो पार्ट्स फूड प्रोसेसिंग प्रोडक्ट्स पर १०० % ड्यूटी बढ़ाकर चीन के निर्यात पर प्रचंड प्रहार किया है और चीन की जबर्दस्त मांग के बावजूद कस्टम ड्यूटी में एक प्रतिशत की कमी नहीं की है, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चीन के खिलौनों पर कस्टम ड्यूटी २००% बढ़ा देने की खबर का लिंक...

https://www.newindianexpress.com/business/2020/jan/22/centre-mulls-heavy-duty-on-chinese-toys-as-curbing-their-influx-not-a-childs-play-2092708.html

कांगियो के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की ऐसी करतूतों की सूची बहुत बड़ी है लेकिन उपरोक्त उदाहरण पर्याप्त हैं तुमको यह समझाने के लिए कि लद्दाख की गलवान घाटी में कल जो हुआ वो इसलिए हुआ,हमारे जवानों ने इसलिए अपने प्राणों का बलिदान दिया क्योंकि देश का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीन के सामने डर से थर-थर कांपते हुए उस तरह घुटने नहीं टेकता जिस तरह यूपीए सरकार का कांगिया प्रधानमंत्री गूंगा सिंह चीन के सामने धोती खोल लम्बा लेट जाया करता था... इसके बजाय आज देश का प्रधानमंत्री अपनी ५६" की छाती तानकर गर्व से कहता है कि देश नहीं झुकने दूंगा... अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों तथा अनेक देशों की वैश्विक सैटेलाइटों द्वारा हर घण्टे खींची जाने वाली फोटो यह बता रहीं हैं कि एक इंच भी भारत भूमि पर चीन नहीं घुस पाया है कल के संघर्ष स्थल की सैटेलाइट फोटो तक भी यह बता रहीं हैं कि वह संघर्ष भारत भूमि के बजाय सीमा के उस तरफ चीन की भूमि पर हुआ है इसलिए चीन के कब्जे का झूठा और देशघाती राग रेंकना बंद करो और और सुनो जिस इमानदार अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री ने अपने शासन में ५२ लाख करोड़ के घोटाले करवाए और दुनिया का सबसे बड़ा बैंक लोन एनपीए घोटाला अंजाम दिया,साथ ही कॉमनवेल्थ, कोयला,२g, एंट्रिक्स देवास, अगस्ता वेस्टलैंड, नेवी टैंकर, टाट्रा ट्रक, आदर्श हाउसिंग, जीजाजी जमीन जैसे अनगिनत घोटालों की बाढ लगा दी, जिस महान अर्थशास्त्री के शासन में महंगाई दर १५ % छू गई थी और देश को ५ सबसे कमजोर अर्थव्यवस्थाओं वाले फ्रेजाईल ५ के समूह में रख दिया गया था, जिसने देश की ६४० वर्ग मील भूमि चीन को दे दी, जिसने शर्म अल शेख में बलूचिस्तान पर बेढब बयान देकर देश की नाक कटवाई, जिसने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री देहाती औरत कहा करता था, जो २६/११ पर तकिया में मुंह दबाए बैठा रहा और वायुसेना को बदला तक नहीं लेने दिया, जिसके राज में देश भर में हजारों आतंक वादी हमले हुए और कई हजार निर्दोष मारे गए, सीमा पर भारतीय जवानों के सिर काट कर ले जाने वाले पाकिस्तानियों पर मुंह नहीं खोला परंतु उस घटना का बदला लेने वाले कर्नल पठानिया और उसकी टीम का कोर्ट मार्शल करवा दिया, जो चीन के डर से अरुणाचल नहीं जाता था, जिसने चीन के डर से दौलत बेग ओल्डी की एयर स्ट्रिप चालू करने की अनुमति नहीं दी, जिस ने चीन के डर से चीनी सीमाओं के निकट आवश्यक सुरंगे, सड़कें और ब्रिज तक नहीं बनवाए, जिसने भारतीय वायु सेना के बार बार आग्रह पर वायु सेना को एक नया कॉम्बैट जेट तक नहीं दिलवाया, जिसने भारतीय नेवी को पनडुब्बियों की बैटरी तक नहीं दिलवाई जिनके कारण पनडुब्बियों में धमाके हुए और २४ नौसैनिक तक मारे गए, जिसने भारत के सैनिकों को अनेकों बार निवेदन करने पर भी बुलेटप्रूफ जैकेट,बैलिस्टिक हेलमेट, नाइट विजन डिवाइस, नई स्नाइपर राइफल और एक अच्छी गुणवत्ता वाली असाल्ट राइफल तक नहीं दिलवाई, जिसने आतंकवादियों की जासूसी कर रहे कर्नल पुरोहित को फर्जी केस में फंसाकर सालों साल टॉर्चर व् प्रताड़ित करवा पैर में १७ फ्रैक्चर दिए... आज वो गूंगा बहरा भी तुम्हारे साथ मिलकर देशहित के प्रवचन पेल रहा है... जाते कहा हो तेरी अम्मी आपा को खोदु लहन के बोडे थुक्ले चरसी भड़वे नकली गांधी... तेरे फ़र्ज़ी बाप की भी सुनता जा... तेरे बाप ने १२०० भारतीय सैनिकों की बलि चढ़ाकर "बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना" और "तू कौन मैं ख़ामख्वाह" सरीखे मुहावरों को तुगलकी शैली में चरितार्थ क्यों किया था... ३० जुलाई १९८७ को तत्कालीन प्रधानमंत्री तेरे बाप भड़वे को गार्ड ऑफ ऑनर देते समय श्रीलंका की नौसेना के एक नौजवान नौसैनिक ने तेरे बाप के सिर पर अपनी राइफ़ल के बट से श्रीलंका मे भारतीय सैनिक भेजने के फैसले के विरोध में जब प्रहार किया था... उस समय तेरा बाप उस समझौते पर दस्तखत करने श्री लंका गया था जिसके अनुसार श्रीलंका के तमिलों से लड़ने के लिए भारत को अपनी फौज श्रीलंका भेजनी थी यह विचित्र स्थिति थी कि जिनसे लड़ने के लिए भारतीय सेना को श्रीलंका भेजा जा रहा था, वो तमिल तो इस फैसले का विरोध कर ही रहे थे लेकिन जिन श्रीलंकाई सैनिकों नागरिकों (सिंहली) की सहायता के लिए भारतीय फौज भेजने का दावा तेरे बाप ने किया था वो श्रीलंकाई नागरिक व सैनिक (सिंहली) भी उस तुगलकी फैसले का जबर्दस्त विरोध कर रहे थे बल्कि स्वयं भारत में भी उस फैसले की तीखी आलोचना हो रही थी... तेरे बाप की प्रचंड कूटनीतिक मूर्खता से लथपथ उस फैसले का भयंकर दुष्परिणाम भारतीय सेना को भोगना पड़ा था... श्रीलंका के तमिलों से लड़ने के लिए जो बीस हजार भारतीय सैनिक श्रीलंका भेज दिये थे वे सैनिक दो वर्ष सात महीने २४ दिन तक श्रीलंका में लड़े थे और बेनतीजा ज़ंग लड़ कर खाली हाथ वापस लौटे थे उस युद्ध में १२०० भारतीय सैनिक मौत के घाट उतर गए थे... लगभग सात हज़ार सैनिक बुरी तरह घायल हुए थे... जिनसे लड़ने गए और जिनके लिए लड़ने गए, अगर दोनों ही पक्ष विरोध प्रारम्भ कर दें तो विश्व की सर्वश्रेष्ठ सेना की भी वही गति होगी जो श्रीलंका में भारतीय सेना की करवाई गयी... लेकिन तेरे बाप की ज़हरीली जिद्द अन्त तक जारी रही थी... दिसम्बर १९८९ में सत्ता से विदाई के बाद फ़रवरी १९९० में भारतीय सेना श्रीलंका से लौट सकी थी... श्रीलंका में भारतीय सेना भेज कर भारत का क्या और कौन सा हित हुआ था... क्योंकि श्रीलंका की सरकार से लड़ रहे तमिल गुटों ने उस समय तक भारत के विरुद्ध एक शब्द तक नहीं बोला था... तो तेरे बाप ने भारतीय सेना को श्रीलंका भेज कर १२०० भारतीय सैनिकों की बलि क्यों और किसके कहने पर चढ़ा दी थी... लिट्टे द्वारा बंधक बनाने के बाद राक्षसी यातनाएं देकर मौत के घाट उतारे गए ३६ सैनिकों के शवों को अंतिम संस्कार तक नहीं नसीब नहीं हुआ था... भारतीय सेना के साथ हुए उस महापाप का जिम्मेदार अपराधी कौन था उन १२०० सैनिकों की मौत का जिम्मेदार कौन था... देश की सीमा की रक्षा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले बीस बलिदानी सैनिकों के बलिदान पर गम और गुस्से की राजनीतिक नौटंकी कर रहे हो जो तुम... ये भी बताओ कि "बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना" सरीखे मुहावरे को तुगलकी शैली में चरितार्थ करते हुए तेरे बाप ने १२०० भारतीय सैनिकों की बलि क्यों चढ़ा दी थी... ये तस्वीर २००८ की है जब पप्पू padaa एक मामूली सा सांसद था, एक मामूली सा सांसद होकर बन्द कमरे मे एन्टियनो माइनो के साथ गूंगे सिंह की अनुपस्थिति मे चीन के राष्ट्रपति के साथ ऐसा कौन सा एग्रीमेंट कर रहा था जिसे आज तक देश जान ही नही पाया, मुझे तो सबसे पहले इस चीज की जांच चाहिए...???
जयहिंद वंदेमातरम