Ashok Sanatani's Album: Wall Photos

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धोरों से चमका प्रकाश...
थोड़ी देर के लिए भूल जाइए गहलोत-पायलट की लड़ाई को। कोरोना को भी छोड़िए। प्रकाश फुलवारिया से मिलिए। 12वीं कला के नतीजों में 99.20 फीसदी अंक लाकर उसने शिखर स्थान हासिल किया है।
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जानते हैं प्रकाश कौन है? सबसे पिछड़े जिलों में शुमार बाड़मेर की धोरीमन्ना तहसील के छोटे से गांव लोहारवा की सरकारी स्कूल का छात्र है। असली गुदड़ी का लाल। उसके संघर्ष, समर्पण और संकल्प को भी जान लीजिए। पिता चनणाराम निर्माण कार्यों पर मजदूरी करते थे। उनको भी लकवा आ गया तो घर की जैसी भी आर्थिक स्थिति थी, वह भी ध्वस्त हो गई। ड्रेस भी एक ही थी। कब तक साथ देती। फटी ड्रेस में स्कूल जाता रहा। कोई कहता तो बोल देता- सिलाने दी हुई है और अपनी पढ़ाई में फिर जुट जाता। जिनको कुछ बड़ा अचीव करना होता है, वे लोगों की बातों पर ध्यान नहीं देते। प्रकाश ने न कोई ट्यूशन ली, न ही पास बुक्स के चक्करों में पड़ा। पूरी तरह किताबों पर फोकस किया।
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प्रकाश की यह सफलता कोई मामूली नहीं है। प्रकाश एक दलित परिवार से है। लेकिन ये नंबर उसने किसी की कृपा से नहीं, बल्कि अपनी कड़ी तपस्या से हासिल किए हैं। प्रकाश ने दसवीं में भी 97 फीसदी अंक हासिल किए थे। प्रकाश की एक गति होती है। इस प्रकाश की भी वही गति है। उसका सपना है कि वह आईएएस बने और पूरी उम्मीद है कि वह अपना सपना जरूर पूरा करेगा।
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बाड़मेर क्षेत्र के सक्षम लोगों को चाहिए कि वे तत्काल प्रकाश के आगे के सफर की जिम्मेदारी उठाने के लिए आगे आएं। उसके पास फटी हुई नहीं, नई ड्रेसेज होनी चाहिए। उसके घर की माली हालत कमजोर नहीं, सुदृढ़ होनी चाहिए। तभी वह निश्चिंत होकर अपने सपने पर फोकस कर पाएगा। ऐसी विलक्षण प्रतिभाएं विरले ही होती हैं। उन्हें आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी सक्षम लोगों की ही होती है और यह हमारे देश की महान परंपरा भी रही है। प्रकाश को खूब बधाई दीजिए।