कवि अभिमन्यु शुक्ल तरंग's Album: Wall Photos

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प्रेम पराकाष्ठा को हमें सिखलाने हेतु।
मीराबाई हरि की दीवानी बन जाती है।।

त्याग की परम्परा को हमें सिखलाने हेतु।
पन्नधाई पुत्र बलिदानी बन जाती है।।

पति को बचाने हेतु यमराज से लड़े।
सावित्री सतीत्व की निशानी बन जाती है।।

मोह वालो फांस को छुड़ाने हेतु नारियां।
काट कर शीश हाड़ी रानी बन जाती है।।

--अभिमन्यु शुक्ल तरंग