Subhanshu Vaish's Album: Wall Photos

Photo 18 of 32 in Wall Photos

रूस का चीन बनाम भारत विवाद में आना
-----------------------------------------------------------------
भारत के रक्षा मंत्री रूस गए थे और रूस से पूर्व में हुए हथियारों के सौदे का अपडेट लिया तथा नए सौदे पर भी बात की। रूस ने इन्हें समय पर डिलीवरी का भरोसा दिलाया।
यह बात चीन को नागवार गुज़री। उसने रूस को आगाह किया मगर रूस ने चीन की अनदेखी की और भारत को नए सौदे पसंद करने के लिए अपना भंडार खोल दिया। पहले, चीन ने धमकी दी और अब उसने अपने भोंपू सीजीटीएन के मार्फत रूस के शहर व्लादिवोस्तोक पर दावा ठोंका।
रूस पहले से ही चीन से नाराज़ चल रहा है। अपनी पनडुब्बी से एक सीक्रेट फाइल चीन द्वारा चुराने के मामले पर पुतिन खासे नाराज़ थे। इस पर कारवाई चल ही रही थी कि कोरोना से रूस दहल उठा। वहाँ रिकॉर्ड संख्या में लोग संक्रमित हुए और मरे। तब दहशत इतनी थी कि राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन को भूमिगत होना पड़ा। इसी बीच इनके प्रधानमंत्री को कोरोना हो गया। रूस गुस्से से उबल पड़ा और गेंहू की आपूर्ति बंद करने की धमकी तक दे दी लेकिन आर्थिक संकट से गुज़र रहा रूस चीन के अनुनय-विनय के बाद गेंहू की आपूर्ति पर राज़ी हो गया लेकिन रूस अपने गुस्से को दबा बैठा था क्योंकि व्यक्त कर वह अपने चिर-प्रतिद्वंदी अमरीका को खुश करना नहीं चाहता था।
भारत और अमरीका के बीच हुई बातचीत में इस बात पर सहमति बनी कि जी7 में भारत और रूस दोनों को आमंत्रित किया जाए। बाद में इसे व्हाइट हाउस से सार्वजनिक भी किया गया।
रूस का दिल भारत ने फिर से जीत लिया था। इसके पीछे अमरीका द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों को समाप्त कर यूरोपीय देशों में व्यापार का रास्ता बहाल करने की प्रक्रिया पर सकारात्मक बातचीत भी था। अब रूस को इस बात का पूर्ण भरोसा है कि उसका पुराना सामरिक मित्र भारत अब नई ताक़त बनकर उभर रहा है जिसने चीन जैसे आक्रामक देश के विश्व विजय के अभियान को रोक दिया है और अमरीका के साथ भी रिश्तों को अप्रत्याशित ऊँचाइयाँ दी है। उसे भरोसा है कि भारत रूस की बातों को प्रभावी ढंग से दूर तक पहुंचा सकता है। इस भरोसे का परिणाम है कि सन 1962 में चीन को अपना भाई और भारत को दोस्त बताकर बीच में आने से बचता रहा रूस अब चीन के विरोध में भारत को रक्षा सामानों की आपूर्ति कर रहा है। उसने चीन की अनदेखी की है।
इस मुद्दे से चिढ़कर चीन ने अब रूस के इलाके को अपना बताना फिर से शुरू कर दिया है। उसके साथ भी चीन का सीमा-विवाद पहले से ही है जिसे उसने उत्तम रक्षा उपकरणों को हासिल करने तक रोक रखा था। ताकि उसके हथियारों का क्लोन (नक़ल) बनाकर दुनिया भर में बेचा जाए।
रूस इस बात को भली-भांति जानता है। रूस का अब स्पष्ट संदेश है कि किसी भी हाल में हो, चीन के विश्वविजय अभियान को रोकना होगा। यह बीड़ा अगर भारत ने उठाया है और विश्व के अधिकतम ताकतवर देशों का साथ इसे मिल रहा है तो यह उत्तम समय है जब चीन का नाश हो जाए।
रूस अब इस ताक में है कि अमरीका रूस पर लादे गए प्रतिबंधों को भारत की पहल पर खत्म कर दे ताकि यूरोपीय देशों में उसके पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का बाज़ार बहाल हो जाए। फिर, वह चीन को आपूर्ति देना बंद कर देगा और उचित मूल्य भी प्राप्त करेगा जो इसे इस वक़्त नहीं मिल रहा है। वह चाहता है कि हथियारों का उसका कारोबार भी चलता रहे और भारत उसका अहम साझीदार बने और वैश्विक बाज़ार तक इसकी सप्लाई से कमाई हो तथा रूस को आर्थिक संकट से उबारा जा सके।
रूस अपने अंदर उस तकलीफ को भी पाल रहा है जब चीन ने अमरीका के साथ मिलकर यूएसएसआर (सोवियत संघ) को पृथक कर दिया था। चीन ने उसके रक्षा उपकरण के बाज़ार को भी तोड़ कर अपने पक्ष में कर लिया है इससे भी रूस की अर्थव्यवस्था को धक्का लगा है।
वजह यही है कि उगते सूरज की तरफ रूस ने रूख किया है और चीन और भारत में से #भारत को चुना है। वह दिन दूर नहीं जब वर्तमान में भारत के साथ चल रहे विवाद में रूस भी अमरीका व उसके अलायंस के साथ मिलकर चीन का संहार करेगा। तब चीन शायद फिर नक़्शे में भी नहीं रहे। दंभी चीन की साख पर यह बट्टा होगा। उसकी स्थिति भई गति साँप छुछुंदर जैसी हो गई है। यह विनाशकाले विपरीत बुद्धि है।