समझ नहीं आ रहा कि मोदी को सेबी के चीफ़ के लिये "रमेश अभिषेक" ही मिला था?
भ्रष्टतम चिदंबरम का राइट-हैंड, सीवीसी, लोकपाल, कोर्ट में जिसके ख़िलाफ़ अभी भी गंभीर केस चल रहे, जिसने 6साल में #स्टार्टअप_इंडिया को पूरी तरह फ्लॉप करा दिया, जो लालू यादव के भ्रष्टाचार का यार था, जो लालू की बेटियों का दिल्ली में लोकल गार्जियन था, इसकी टीम का तीसरा बंदा केपी कृष्णन #स्किल_इंडिया का चीफ़ होते हुए मोदी के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को पलीता लगा दिया!
कैसे चिदंबरम-माफ़िया आज भी ब्यूरोक्रेसी में अपनी हनक-धमक का जलवा बरकरार रखे हुए, ये उसका एक ट्रेलर-मात्र है!
सेबी के चीफ़ के लिये रमेश कृष्णन को शॉर्टलिस्ट किया जाना क्या भारत में पोस्ट-कोविड संभावित इन्वेस्टमेंट को रसातल में नहीं डूबा देगा?
आखिर मोदी-सरकार की ऐसी क्या मजबूरी जो ब्यूरोक्रेसी से अभी भी कॉंग्रेसी-डीएनए पर निर्भरता कम नहीं कर पा रही?
यूपीए सरकार में चिदम्बरम ने रमेश अभिषेक, केपी कृष्णन जैसे ब्यूरोक्रेट्स के साथ पैसे उगाही के लिये माफियाओं का गैंग बनाया!
अरबों-खरबों बनाए!
कई कंपनियों को तबाह-बर्बाद करवाया!
जब यूपीए चली गयी तो उन कंपनियो ने क़ानून का दरवाजा खटखटाया! उन्हीं कंपनियों में से एक है 63 मून!
#63_मून कंपनी ने भी चिडु, #केपीकृष्णन और #रमेश_अभिषेक पर 10हज़ार करोड़ का दावा ठोंका है!
ये दावा "इंडिविजुयल्स" के ख़िलाफ़ है..
लेकिन,लेकिन लेकिन...आपको घनघोर आश्चर्य होगा कि कंपनी से
इन तीनों के केस लड़ने का पूरा ख़र्च मोदी-सरकार दे रही!
क्यों भई?
ये इसलिये कि नौकरशाही में चिदंबरम की हनक और उसके जलवे अभी भी नौकरशाहों के सर चढ़कर बोलते हैं जिसपर शायद अब मोदी सरकार का भी बस नहीं चलता!