विकास दुबे को ब्राह्मण समाज का नायक बनाकर सामने रखा गया है कि ताकी पूरे ब्राह्मण समाज की खिल्ली उड़ाई जा सके , ठीक वैसे ही जैसे आंनद पाल को पूरे क्षत्रिय समाज का नायक बना दिया गया था , रामवृक्ष यादव को यादव समाज का , बर्धराजन मुलिकर को दलित समाज का , भिंडरावाले को सिख समुदाय का ....... मुस्लिमों पर बात करना ही व्यर्थ है ।
फेहरिस्त थोड़ी लंबी है ,लिखने बैठें तो हर समुदाय ,हर वर्ग के आपराधिक व्यक्ति आपको मिल जायेंगे , लेकिन क्या ये सच मे किसी वर्ग का नेतृत्व करते हैं ???
किसी वर्ग का नेतृत्व नायक करते हैं, अपराधी नहीं ।
परशुराम और रावण ;दोनों ब्राह्मण कुल के हैं ,लेकिन एक को हम मंदिर में स्थापित करते है ,दूसरे को चौराहे पर हर साल जलाते हैं, कर्म प्रधान भारत मे जातीय कीचड़ से बाहर आइए ।राजनैतिक महत्वाकांक्षा के यज्ञ में खुद की समिधा देना बंद कीजिए , जातीय वरिष्ठता दिखाने की महत्वाकांक्षा में हिंदुत्व की नाव डूब रही है ।