sanjay singh's Album: Wall Photos

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पिंकिया -

पूरे घर में कोहराम मचा हुआ था पिंकिया ने हा उसका घर का नाम यही था प्यार से । सबकी लाडली थी वो सबसे छोटी दो बड़े भाइयों के बाद । उसी की वजह से घर में चहल-पहल रहती थी ,सबका ख़याल रखना फ़िर अपनी तयारी कर के मेडिकल कॉलेज जाना ,वो डॉक्टरी के दूसरे साल में थी ।

कोहराम की वज़ह पिंकिया का अपनी पसंद के लड़के से ही शादी करने का निर्णय लेना था जो उसके साथ में पढता था पर दूसरी बिरादरी (जात) का था ।

अभी तक तो किसी को कुछ पता ही नहीं था पर समस्या तब हुई जब बड़े भइया की लड़की देखने गए थे सब लोग और लड़की सबको पसंद आई थी पर लड़की के भाई ने जो पिंकिया को पसंद कर लिया था ।

अब घर में बड़े भाई की शादी का पेंच फस गया । सबलोग इसी फ़िराक में थे कि बड़े भाई की शादी के साथ पिंकिया की सगाई कर दे तो एक साथ दो शुभ काम हो जायेंगे ।

पिंकिया के इंकार करने का मतलब था बड़े भाई का रिश्ता टूट जाना । जब पिंकिया को यह बात पता चली तो उसने अपनी पसंद घर में खुलकर बता दी । अब कोहराम तो होना ही था । उसके पापा-मम्मी को ये एक झटके की तरह लगा की उनकी पिंकिया इतना बड़ा निर्णय स्वतंत्र रूप से ले लेगी ।घर में सब लोग उसको इतना मानते थे की उससे इस तरह की आशा किसी को नहीं थी ।

ऐसा नहीं था की उस घर में प्रेमविवाह का विरोध था बस अंतर्जातीय विवाह को लेकर थोड़ी समस्या थी सबके मन में की गाँव घर के लोग सुनेगे तो क्या कहेंगे । पिंकिया के पापा करीब तीस साल पहले शहर में आ गये थे नौकरी करने, पर गाँव से उनका संपर्क टुटा नहीं था अब तक । महीने में एक-दो बार तो गाँव का चक्कर लग ही जाता था और उनका छोटा भाई और उसका परिवार गाँव में ही थे ।

पिंकिया के पापा शहर की बदलती आबो-हवा को पहचानते थे । रात को सोते समय उन्होंने अपनी धर्मपत्नी से कहा की सुनो तुम्हारा क्या कहना है इस मामले में । उनकी पत्नी का ज़वाब "हमारे बुढ़ापे में हमारे बच्चे काम आयेंगे जी ,गाँव वाले नहीं और वैसे भी जमाना बदल गया है । भगवान न करे की बच्चे कुछ गलत कदम उठा ले "

पिंकिया के पापा रात भर सोचते रहे की पिंकिया की अम्मा तो ज्यादा समझदार निकली उनसे । एकदम सही कह रही है की बुढ़ापे में अपने ही बच्चे काम आते है ।अगर पिंकिया की जबरदस्ती शादी करवा भी दी तो फिर जिंदगी भर उससे नज़र मिलाने की हिम्मत नहीं कर पाउँगा । इसी उधेड़बुन में उनकी आँख लग गई ।

सुबह नाश्ते के समय वो कुछ कहने वाले ही थे की बड़े बेटे ने बात शुरू की । पापा लड़की वालों से कह दीजिये की ये लड़का दो लड़की लो का एक्सचेंज प्रोग्राम नहीं चलेगा । मेरी बहन को अगर वो लड़का नहीं पसंद है तो जबरदस्ती नहीं होगी ,उनको मैं पसंद हूँ तो मुझसे अपनी लड़की की शादी कर सकते है वो लोग ।

बेटे की बात सुनते ही पिंकिया के पापा की सारी समस्या ही ख़तम हो गई और पिंकिया की तो जैसे लाटरी ही लग गई । उसने दौड़कर भइया को गले लगा लिया और रोने लगी । बड़ा भाई बोल उठा क्या रे राखी का फ़र्ज़ ही तो निभाया है और कुछ नहीं ।

अब उससे मिलवायेगी नहीं कौन है ,कैसा है ,मेरी बहन की पसंद कैसी है देखनी तो पड़ेगी । बड़े भाई ने कहा पापा चलो शाम को डिनर करेंगे बाहर ,और हाँ पिंकिया उसको भी बुला ले ।
इतना सुनते ही पिंकिया ऐसी चहकी की सारे घर का माहौल ही बदल गया ।

पिंकिया की मम्मी किचन में अपने आखों से आंसू पोछते हुए बोली अभी उठना नहीं एक-एक पराँठा और ला रही हूँ सबके लिए ।

"बाग़ी"