सोच वहीं ना रह जाए
जरा सोच अपनी बदलना सीखो
प्रताड़ना को सहना छोड़ो
युवा उठो अब लड़ना सीखो
जाति, धर्म, भेदभाव और
राग-द्वेष को समझना सीखो
कबतक अंधकार में छिपे रहोगे
जरा तुम इन्साफ करना सीखो
युवा उठो अब लड़ना सीखो
बुराइयों को तजना सीखो
राष्ट्रहित में रजना सीखो
राष्ट्र ध्वंसी ना बनो तुम
उत्थान हो जिससे देश का
एक विकसित मजबूत नींव से
तुम नए प्रागार को रचना सीखो
युवा उठो अब लड़ना सीखो
कष्ट निवारक बनकर तुम
हर दुख हर मन हर्षित करो
और खंडित ना हो राष्ट्र कभी ये
तुम एकता की रीढ़ बनो
तुम सृजक हो तुम दाता हो
तुम भाग्यवादी ना बनो
तुम खुद ही भाग्य विधाता हो
तो उठो, कर कठिन परिश्रम
निज रेखा भाग्य के खींच लो
हर बीज खुशी के सींच लो
और नित्य आगे बढना सीखो
युवा उठो अब लड़ना सीखो
अब समय रहा नहीं पास तुम्हारे
जरा समझो भी ये खास इशारे
इधर-उधर की बातों में
तुम समय व्यतीत ना करना सीखो
युवा उठो अब लड़ना सीखो
लड़ना सीखो लड़ना सीखो लड़ना सीखो
तुम कठिन राह हर भेष भाव हर एक रूप में
तुम शरद ऋतु तपती धूप में
तुम धरती पे पाताल में
तुम जन, धन की अकाल में
तुम हर दुर्लभ उस काल में
चलना सीखो, ढलना सीखो पलना सीखो
युवा उठो अब लड़ना सीखो