मथुरा और काशी को लेकर विश्व भद्र पुजारी महासंघ ने 2 दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है जिसमें पैलेस ऑफ़ वरशिप एक्ट 1991 को चुनौती दी गई है और इसे रद्द करने की मांग की गई है ताकि इन दोनों स्थानों पर पूजा का अधिकार प्राप्त हो सके और इन दोनों मंदिरों का पुनरुद्धार किया जा सके यह एक्ट 1991 में तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार ने पारित किया था इसके अनुसार 1947 आजादी के बाद से जो भी धार्मिक स्थल जिस भी धर्म या समुदाय के कब्जे में हैं वह उन्हीं के पास रहेंगे इस एक्ट का उल्लंघन करने चुनौती देने पर 3 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया था इस एक्ट में अयोध्या को शामिल नहीं किया गया था अब जरा सोचिए कितना बड़ा षड्यंत्र था यह एक्ट इसका सीधा सा मतलब है की हिंदुओं के जिन 40000 मंदिरों पर कब्जा करके मस्जिदें खड़ी कर दी गई हिंदू उन्हें भूल जाएं और एक तरह से कथित शांतिप्रिय समुदाय को उनका मालिकाना हक दे दिया गया था आखिर ऐसा कौन सा क्षेत्र बचा है जहां गद्दार मक्कार कांग्रेस ने कोई गड़बड़ घोटाला ना किया हो अरे कुछ तो शर्म करनी चाहिए डूब मरो सुप्रीम कोर्ट ने याचिका स्वीकार तो कर ली है पर सुनवाई कब होगी यह अभी निश्चित नहीं है आज जमीयत उलेमा ए हिंद ने भी याचिका दायर करके खुद को पक्षकार बनाए जाने की मांग की है