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#कालचक्र_और_युगों_का_वर्णन
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मनुष्य का एक वर्ष देवताओं का १ दिन होता है जिसे दिव्य दिवस कहते हैं। इसी प्रकार मनुष्यों के ३६० वर्ष (यहाँ ३६५ के हिसाब से गणना नहीं होती) देवताओं का १ वर्ष होता है जिसे दिव्य वर्ष कहते हैं। पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु के नाभि कमल से उत्पन ब्रम्हा की आयु १०० दिव्य वर्ष मानी गयी है। पितामह ब्रम्हा के प्रथम ५० वर्षों को पूर्वार्ध एवं अगले ५० वर्षों को उत्तरार्ध कहते हैं। सतयुग, त्रेता, द्वापर एवं कलियुग को मिलकर एक महायुग कहते हैं। ऐसे १००० महायुगों का ब्रम्हा का एक दिन होता है। इसी प्रकार १००० महायुगों का ब्रम्हा की एक रात्रि होती है। अर्थात परमपिता ब्रम्हा का एक पूरा दिन २००० महायुगों का होता है। प्राचीन काल गणना के विषय में विस्तार से यहाँ पढ़ें।

ब्रम्हा के १००० दिनों का भगवान विष्णु की एक घटी होती है। भगवान विष्णु की १२००००० (बारह लाख) घाटियों की भगवान शिव की आधी कला होती है। महादेव की १००००००००० (एक अरब) अर्ध्कला व्यतीत होने पर १ ब्रम्हाक्ष होता है। अभी ब्रम्हा के उत्तरार्ध का पहला वर्ष चल रहा है (ब्रम्हा का ५१ वा वर्ष)। ब्रम्हा के एक दिन में १४ मनु शाषण करते हैं:
स्वयंभू
स्वरोचिष
उत्तम
तामस
रैवत
चाक्षुष
वैवस्वत
सावर्णि
दक्ष सावर्णि
ब्रम्हा सावर्णि
धर्म सावर्णि
रूद्र सावर्णि
देव सावर्णि
इन्द्र सावर्णि

इस प्रकार ब्रम्हा के द्वितीय परार्ध (५१ वे) वर्ष के प्रथम दिन के छः मनु व्यतीत हो गए है और सातवे वैवस्वत मनु का अठाईसवा (२८) युग चल रहा है। इकहत्तर (७१) महायुगों का एक मनु होता है। १४ मनुओं का १ कल्प कहा जाता है जो की ब्रम्हा का एक दिन होता है। आदि में ब्रम्हा कल्प और अंत में पद्मा कल्प होता है। इस प्रकार कुल ३२ कल्प होते हैं। ब्रम्हा के परार्ध में रथन्तर तथा उत्तरार्ध में श्वेतवराह कल्प होता है। इस समय श्वेतवराह कल्प चल रहा है। इस प्रकार ब्रम्हा के १ दिन (कल्प) ४३२००००००० (चार अरब बतीस करोड़) मानव वर्ष के बराबर है जिसमे १४ मवंतर होते है। चार युगों का एक महायुग होता है:
सतयुग: सतयुग का काल ४८०० दिव्य वर्ष या १७२८००० (सत्रह लाख अठाईस हजार) मानव वर्षों का होता है। इस युग में चार अमानवीय अवतार हुए - मत्स्य, कुर्म, वराह एवं नृसिंह। सतयुग में:

पाप: ० भाग
पुण्य: २० भाग
मनुष्यों की आयु: १००००० वर्ष
उचाई: २१ हाथ
पात्र: स्वर्णमय
द्रव्य: रत्नमय
प्राण: ब्रम्हांडगत
तीर्थ: पुष्कर
स्त्रियाँ: पद्मिनी एवं पतिव्रता
सूर्यग्रहण: ३२००० बार
चंद्रग्रहण: ५००० बार
वर्ण: चार, सभी अपने धर्म में लीन रहते थे
ब्राम्हण: ४ वेद पढने वाले थे

त्रेतायुग: त्रेतायुग का काल ३६०० दिव्य वर्ष या १२९६००० (बारह लाख छियानवे हजार) मानव वर्षों का होता है। इस युग में तीन मानवीय अवतार हुए - वामन, परशुराम एवं राम। त्रेता में:

पाप: ५ भाग
पुण्य: १५ भाग
मनुष्यों की आयु: १०००० वर्ष
उचाई: १४ हाथ
पात्र: रजत (चांदी) के
द्रव्य: स्वर्ण
प्राण: अस्थिगत
तीर्थ: नैमिषारण्य
स्त्रियाँ: पतिव्रता
सूर्यग्रहण: ३२०० बार
चंद्रग्रहण: ५०० बार
वर्ण: चार, सारे अपने अपने कार्य में रत थे
ब्राम्हण: ३ वेद पढने वाले थे

द्वापरयुग: द्वापर युग का काल २४०० दिव्य वर्ष अथवा ८६४००० (आठ लाख चौसठ हजार) मानव वर्षों का होता है। इस युग में २ मानवीय अवतार हुए - बलराम एवं कृष्ण। हालाँकि शास्त्रों में बलराम एवं बुद्ध के बीच अवतार होने पर मतभेद है। द्वापर में:

पाप: १० भाग
पुण्य: १० भाग
मनुष्यों की आयु: १००० वर्ष
उचाई: ७ हाथ
पात्र: ताम्र
द्रव्य: चांदी
प्राण: त्वचागत
तीर्थ: कुरुक्षेत्र
स्त्रियाँ: शंखिनी
सूर्यग्रहण: ३२० बार
चंद्रग्रहण: ५० बार
वर्ण: चार, व्यवस्था दूषित थी
ब्राम्हण: २ वेद पढने वाले थे

कलियुग: कलियुग का काल १२०० दिव्य वर्ष या ४३२००० (चार लाख ३२ हजार) मानव वर्षों का होता है। इस युग में एक मानव अवतार संभल देश, गोड़ ब्राम्हण विष्णु यश के घर कल्कि नाम से होगा। इसके अतिरिक्त बुद्ध (जिनके अवतार होने में मतभेद है) का जन्म भी कलियुग में हुआ था। कलियुग में:

पाप: १५ भाग
पुण्य: ५ भाग
मनुष्यों की आयु: १०० वर्ष
उचाई: ३.५ हाथ
पात्र: मिटटी
द्रव्य: ताम्र
मुद्रा: लौह
तीर्थ: गंगा
प्राण: अन्नमय

वर्ण: चार, सभी अपने कर्म से रहित होंगे
ब्राह्मण: १ वेद पढ़ने वाले होंगे, अर्थात ज्ञान का लोप हो जाएगा
कलियुग के अंत में गंगा पृथ्वी से लीन हो जाएगी तथा भगवान विष्णु धरती का त्याग कर देंगे।