माननीय कर्नाटक उच्च न्यायालय ने आज निर्देश देते हुए कहा है अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के अधिनियम के तहत पीड़ित का मतलब सिर्फ वह नहीं जिसने मानसिक, शारीरिक, सामाजिक या मौद्रिक नुकसान की समस्याएं सही हो बल्कि उसके परिवार वाले भी उसके इस अधिनियम के अंतर्गत आते हैं। न्यायालय ने यह भी कहा की धारा 15 ए उप धारा 12 के अंतर्गत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को गैर सरकारी संगठन, वकीलों से मुफ्त में कानूनी सेवा मिलने का प्रावधान है।
- सिंघानिया एवं कंपनी एलएलपी, मुंबई ऑफिस