संतोष केवल सनातनी's Album: Wall Photos

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ऐ पंक्षियों मुझे भी साथ ले चलो
जहाँ तुम्हारा ठिकाना है,
बहोत अकेला सा हो चुका हूँ मै
अब मुझे भी उड़ जाना है।
ऐ पंक्षीयों मुझे भी साथ ले चलो........

मरघट बन गई है ये धरती और
नदीयों का रंग भी अब लाल हो गया,
मानवता का तो पता नही है बस
मानव होना कमाल हो गया।

अहंकारी,अत्याचारीयों का ही ये जमाना है
ऐ पंक्षीयों मुझे भी साथ ले चलो..........

ममता रो रही है छाती को पीट
शोहगनें गवां रही है मन मीत।
भाई,बहन,सखा अब वो रिश्ते भी न रहें
क्यों के अब तो भय बिन होय न प्रीत।

ना ही यहाँ कुछ खोने को रहा और ना ही कुछ पाना है।
ऐ पंक्षीयों मुझे भी साथ ले चलो...........

ज्ञानि,महाज्ञानियों से भरा न जाने ये कैसा संसार है,
संत,योगी भी भोगी बन गये धर्म तो अब व्यापार है।
मंदिर,मस्जिद मे है लोग बंटे मानवता का नाम नही है,
दुर्योधन और रावण है यहाँ मगर कृष्ण और राम नही है।

सायद नही बदलेगी ये दुनिया और मुश्कील यहाँ रह पाना है
ऐ पक्षीयों मुझे भी साथ ले चलो.............

समय समय की बात है सब समय बड़ा बलवान है,
विचीत्र से मानव है यहाँ जो स्वयं बनते भगवान है।
मै इंतज़ार करूँगा न्याय का उसके जो विधी का विधान है,
इंशानों ने है ईश्वर को बनाया या ईश्वर से बना इंशान है।

जब तक हूँ उस ईश्वर का रहूँगा और उसे ही सब सुनाना है।
ऐ पंक्षियों मुझे भी साथ ले चलो...............

#लेखक✍️ @संतोष केवल सनातनी
#SantoshWrites