Dr Vishwas Kumar Chouhan's Album: Wall Photos

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#विश्व_भूगर्भ_जल_दिवस ।
आज विश्व भूगर्भ जल दिवस है । हमारे देश में पीने योग्य मुख्य पानी का स्रोत भूगर्भ जल ही है । लैकिन आज किसी बच्चे से सहज पूछें की पीने का पानी कहाँ से आता है तो ज्यादातर का उत्तर होगा "नल से आता है या टैंकर से आता है" । उसे नहीं मालूम कि जो पानी वह पी रहा है वह धरती का आठ सौ-हजार फुट तक का पेट फाड़कर निकाला जा रहा है ।
भूगर्भ वैज्ञानिकों की मानें तो वर्षा का जल सौ सवा सौ फुट से नीचे नहीं जाता । उसके नीचे इतनी कठोर चट्टानें हैं कि सीधा #वर्षाजल उसमें जाना कठिन है । उसके नीचे जो धरती में जल भरा है वह लाखों-करोड़ों साल में बूँद-बूँद रिस-रिसकर गया है । वह जल धरती को ठण्डा रखने के लिए एक प्रकार से fixed deposit था । हमने पिछले 25-30 वर्ष में धरती का वह भण्डार भी खाली कर दिया । कई जगह बड़े बाँधों से नहरें आ गई तो तालाब पाट दिए । कुए पूर दिए । वनों के विनाश और नदियों के अंधाधुंध दोहन से अब अधिकांश नदियाँ वर्षा जल वाहक मात्र बनकर रह गई है । #बरसात जाते-जाते अधिकांश नदी-नाले दम तोड़ देते हैं । ऐसे में शुद्ध #पेयजल अब बहुत दूर की कौड़ी हो गया है । घर मे लगे आरओ वाटर कहते हैं बीमारी का घर है । क्योंकि पानी के मिनरल्स उसमे नष्ट हो जाते हैं । चिकित्सकों की माने तो अधिकांश बीमारियों की जड़ अशुद्ध पानी है । रही-सही कसर रासायनिक खाद, #कीटनाशक और #खरपतवार नाशकों ने पूरी कर दी । जो थोड़ा-बहुत शुद्ध जल कुओ आदि के माध्यम से मिलता था उसमें भी जहर घुल गया ।
जहाँ-तहाँ धरती पर #प्लास्टिक का बिछौना बन गया है । घर-आँगन, सड़क-नाली, बाग-मैदान सब पक्के होते जा रहे हैं । आखिर धरती के पेट मे पानी जाये तो कहाँ से ? जल संकट का हर कोई एक ही उपाय बताता है बाँध बनना चाहिए । अगर वर्षा नहीं होगी तो आखिर इन बाँधों में पानी कहाँ से आयेगा । इसलिए छोटी-छोटी जल संरचनाओं से अगर धरती के अन्दर पानी जाता रहा तो अकाल और अवर्षा के समय यही पानी काम आयेगा ।
एक मूल समस्या देश के नागरिकों मे घर करती जा रही है कि कोई भी संकट आये हम सरकार भरोसे हो जाते हैं । इससे संकट ओर अधिक विकराल रूप धारण करते जा रहे हैं ।
अतः आज के जल संकट का केवल सेमिनारों से हल नहीं निकलेगा । अपितु समाज और शासन को कंधा से कंधा मिलाकर जमीन पर युद्ध स्तर पर कार्य करने की आवश्यकता है । इस दिशा में काम भी प्रारम्भ हुए हुए हैं । जहाँ जैसी धरती है वहाँ वैसी #जलसंरचनाएँ बनाकर हम भूगर्भ जल के भण्डार भरें । केवल आने वाले कल भर के लिए नहीं अपितु पीढीयों के लिए । जैसा हमारे पूर्वज हमारे लिए छोड़ गए थे ।
(श्री मोहन नागर जी की पोस्ट साभार )