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An appeal
शताब्दियों की परंपरा को खंडित ना होन दे....

कोविड-19 कोरोना के मद्देनजर जगन्नाथ पुरी की रथयात्रा पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई..CJI ने भगवान जगन्नाथ से मांगी माफी क्या मिलोर्ड आप नहीं चाहते कि 'रथ-यात्रा' हो..???

जब ट्रेनें, हवाईजहाज आदि चल रहें हैं पुरा बजार खुल गया हैं...लोग मार्किट में जमा हो सकते हैं तो क्या कुछ पुजारी आदि मिलकर शताब्दियों की परंपरा को खंडित होने से नहीं बचा सकते..??

न्यायालय को इस पर पुनः विचार करना चाहिए... पुरी शहर को पुरी तरह से शटडाऊन करके किसी को भी घर से बाहर निकलने की अनुमति ना दी जाये और मंदिर प्रबंधन से जुडे़ 1172 सेवकों के माध्यम से इस रथ यात्रा की परंपरा को खंडित होने से बचाया जा सकता है ।

आपको बता दे कि मंदिर के 1172 सेवकों का कोविड-19 जांच हो चुका है और उन सभी का रिपोर्ट निगेटिव आया है तीनों रथों को खीचने के लिए मंदिर प्रबंधन के अनुसार 750 लोगों की आवश्यकता होती है और मंदिर प्रबंधन के पास 1172 सेवक है ।

भले ही पुरे देश में रथ यात्रा बैन करो लेकिन ओडिशा जगन्नाथ रथ यात्रा का मूल स्थान में यात्रा होनी ही चाहिए निश्चय ही सम्पूर्ण मानवता से कोई अत्यन्त गम्भीर अपराध हुआ है ।

आज से ठीक दो दिन बाद यानी कि 23 जुन को भगवान् जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा जी की रथ यात्रा निकलनी है ।
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