Sisir Sabat's Album: Wall Photos

Photo 80 of 91 in Wall Photos

बन्धुओं! बाबा रामदेव जी ने अन्तर्राष्ट्रीय ऐलोपैथिक ड्रग्स माफिया की पीठ पर जबरदस्त प्रहार किया है। आयुष मंत्रालय के अधिकारी की माने तो - दूध बादाम केसर युक्त 'इमामी फेयर ऐन ग्लो' से गोरा होने के पूरे ट्रायल और क्लीनिकल एविडेन्स सही उतरे हैं साथ में सिर दर्द मिटाने वाली झण्डू बाम व ऐलोपैथी केप्सूल गारंटी से सिर दर्द मिटाते हैं इसलिए मंत्रालय ने जांच परख कर उनके विज्ञापन की अनुमति दी है, किंतु पतञ्जलि की दवा जो आयुर्वेदिक दवा है, उससे किसी भी तरह का कोई नुकसान हो ही नहीं सकता है उसके लिए पूरे क्लीनिकल सबूत और गारंटी अनिवार्य है। बैसे विशेष रूप से कोरोना कोविड 19 के लिए हाइड्राक्सीक्लोरोक्विन का कौन सा सफल परीक्षण हुआ था❓

विदेशी ग्लेनमार्क की दवा 103/- रुपये की गोली और एक पत्ता 3000/- रुपये से ऊपर है। एक गोली 200 mg की , और daily dose 1800 mg वो भी कोरोना के नॉर्मल मरीज के लिए...14 दिन का कोर्स...अब हिसाब लगा लो...ये तो सिर्फ दवाई का खर्चा है। इसके अलावा हॉस्पिटल का बिल, डॉ० की फीस वगैरा वगैरा.... अब बाबा कह रहे है कि 7 दिन खाओ 100% आराम...तो MNC की पीड़ा तो तय है। क्योंकि अभी ये दवाइयाँ पूरे विश्व में बन रही हैं और ट्रायल हो रहे हैं। 103/- की गोली वाला कोर्स अगर 50 करोड़ भारतीयों ने किया तो अंदाजा लगाओ कितने अरबों का झोल होगा❓

बाबा रामदेव जी की कोरोनिल को कहीं इसलिये भी तो हतोत्साहित नहीं किया जा रहा....

बाबा रामदेव जी ने कल एक पत्रकार वार्ता में दावा किया कि “पतञ्जलि” ने ऐसी चार आयुर्वेदिक दवाओं को विकसित किया है जो कोरोना का प्रभावी उपचार करेंगी। इन चारों का मूल्य लगभग ₹500 = 00 है। उनके इस कथन के थोड़ी देर बाद ही आयुष मंत्रालय ने ताबड़तोड़ अपनी सलाह ठोक मारी कि जब तक उनकी दवा का परीक्षण न कर लिया जाता तब तक वो इसे कोरोना की दवा की तरह प्रचारित न करें। पता चला है कि देश की 2 बड़ी एलोपैथिक दवा उत्पादक कंपनियाँ भी पतञ्जलि की दवा के सामने अपनी दस गुना महँगी दवाइयाँ सप्ताह भर में बजार में ला रही हैं। ये कंपनी सिपला व हैटरो हैंं। पतञ्जलि की दवा जहाँ 500 रुपये की ही है वहीं सिपला व हैटरो की दवाइयाँ कोई 5 - 6 हजार की हैं। यानी पतञ्जलि से दसगुना महँगी। यानी रामदेव की दवा से इन कीमती दवाओं की बिक्री पर विपरीत असर पड़ेगा।

ऐसे में यह प्रश्न तो कुलबुलाता ही है कि कहीं रामदेव की पतञ्जलि पर सलाहनुमा कोड़ा कहीं इसीलिये ही तो न फटकारा गया है❓

फेयर & लवली से आज तक कितनी सांवली महिला गोरी हुईं❓हार्लिक्स, बुस्ट, कोम्पलान आदि पीकर आजतक कितने बच्चो की ऊंचाई या इम्यून सिस्टम मजबूत हुआ❓दांतों की हमेशा बेहतरीन सफाई का दावा करने वाले कोलगेट, पेप्सोडेंट, क्लोज-अप आदि से मुंह धोने के बाद भी डेंटिस्टों की दुकान धड़ल्ले से क्यों चल रही है❓क्लीनिक प्लस, गार्नियर हैंड & सोल्डर आदि शैंपू लगाने के बाद भी भारत या दुनिया के लोग गंजे क्यों हो रहे है❓महंगे डियोडरेंट लगाने के बाद आज तक कितने अखण्डियों को उनकी पसंद की लड़की के साथ सेटिंग हुई❓पेप्सी, थम्जअप, कोका कोला, लिमका आदि पीने के बाद क्या सच में शरीर में ऐनर्जी आ जाती है❓

यदि नहीं तो फिर आयुर्वेदिक दवा 'कोरोनिल' के खिलाफ विधवा विलाप करने वाले किसी धूर्त ने इन सबके खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठाई❓

इशारा साफ है कि रामदेव जी ने इन धूर्तों के आगे हड्डी नहीं डाली है, तभी ये धूर्त पगला गये हैं, और बाबा रामदेव जी किसी को ये दवा जबरदस्ती तो पिला नहीं रहे हैं तो फिर इन धूर्तों के पेट में मरोड़ क्यों उठ रही है❓और बाबा रामदेव जी भी निहायत ही बेवकूफ आदमी हैं। कोरोनिल नाम न रखकर कोई बड़ी टेढ़ी सी अंग्रेजी नाम रखते और दवाई का दाम कई गुना बढ़ाकर उसका कुछ पैसा बड़े अधिकारियों के मुंह पर मारते, ताकि वो भी खुश रहते और कुछ हिस्सा बड़े बड़े ऐडवटाईजमेंट एजेंसी को देते, जिससे वो लुभावने भाषा में कोरोनिल का प्रचार करते और जनता भी ये अधिक दाम और लुभावने प्रचार को देख कर तुरंत विश्वास कर लेती .....

याद रहे हम भारतीय वही लोग हैं जो सिरदर्द की सरकारी गोली, जो 50 पैसे की आती है वो न लेकर बड़े मार्डन अस्पताल में जाकर "माईग्रेन हेडेक" के नाम पर हजारों की जांच करवायेंगे और जो सिरदर्द 50 पैसे में ठीक हो सकता था उसे 50 हजार में ठीक करेंगे.....क्योंकि हम भारतीयों को पैदा होने के साथ ही ये सिखा दिया जाता है कि "बड़ा नाम और महंगा है तो बेहतर ही होगा"। आयुर्वेद शाश्वत है, अनादि है, अनंत है। भारत का हर व्यक्ति, यहाँ तक कि पशु भी अपने लिये उपयोगी वनस्पति औषधि का ज्ञान रखते हैं। किसी अंत्रालय मंत्रालय के भरोसे जिंदा नहीं है आयुर्वेद, और ना किसी फार्मा, ड्रग्स माफिया या फाउंडेशन के रहमोकरम पर है। स्वास्थ्य रक्षण और रोग विमोचन आयुर्वेद सनातन काल से करता आया है और करता रहेगा। बाबा रामदेव जी की पतञ्जलि कंपनी ने पुनः आयुर्वेद को पुनर्जीवित करने का व्रत लिया है। आज जब एंटीबाॅयोटिक बेकार हो चुकी हैं, जीवाणुओं का कारोबार विषाणुओं के हाथ आ लगा है तो केवल आरोग्यवर्द्धक औषधियाँ ही आशा की किरण हैं। आयुर्वेद का हजारों वर्षों का इतिहास ही आरोग्य और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का रहा है।

बाबा रामदेव जी को कोरोना की दवा 'कोरोनिल' की खोज के लिये मङ्गलमय बधाई और शुभ-कामनायें..... ईश्वर से प्रार्थना है कि यह औषधि सफल सिद्ध हो!

सर्वे संतु निरामया:

--- साभार संकलित
""""""जय श्री राम""""""