संजय दलाल's Album: Wall Photos

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मित्रों,
कुकुर/श्वान/ कुत्ता /डॉगी ........
इनकी बहुत सी प्रजातियाँ होती हैं ,
इनकी अधिकतर प्रजातियाँ तो मालिक के रौब को दुनिया को दिखाने भर की होती हैं कि देखो रे फलाना तो बुलडॉग पाल लिया,
फलाना जर्मन शेफर्ड पाल रहा ,
फलाना बुल्ली ले रहा रहा तो फलाना मैस्टिफ के गले मे पट्टा डाल उसकी चेन पकड़ के घुमा रहा ।
अब इन नस्लों के डॉगीज की कीमत भी अलग अलग ............
डॉगीज की कीमत के अनुसार ही उसके मालिक के सामाजिक स्टेटस का निर्धारण होता है कि फलाँ बन्दा फलाँ नस्ल का कुत्ता अफोर्ड कर रहा तो उसका क्या रुतबा क्या औकात ...............
एक समय था....... मेरा देखा हुआ समय ...... किसी के यहाँ दस हजार की भैंस आती थी तो पूरा गाँव व आसपास के गांववाले भैंस को देखने आते थे कि फलाँ बन्दा दस हजार की भैंस लाया है चलो देख के आते हैं कैसी है ...........
इसको हमारी हरयाणवी में कहते हैं -रुक्का पड़ जाना.....
रुक्का पड़ गया फलाना आदमी दस हजार की भैंस लाया ........
खैर अब तो ग्रामीण समाज मे कोई ढाई लाख की भैंस भी ले आये तो तो रुक्का नही पड़ता........
बस इतना ही होता है कि कोई कहता है -तो ताऊ फलाना आदमी ढाई लाख की भैंस ले आया ........
तो ताऊ कहता है - के बड्डी बात हो गयी सब ल्यावें सैं ।
मित्रों थी मेरी पोस्ट की भूमिका भर बस ...........
अब आते हैं मुद्दे पर ..........
कुछ समय पूर्व जाट आरक्षण आंदोलन के मुद्दे पर हरयाणा धधका जला बर्बाद हुआ ...........
36 बिरादरी का सदियों से एकजुट रहने वाला समाज आमने सामने आ खड़ा हुआ ...... कहीं कहीं छिटपुट घटनाओं में खामखा संघर्ष भी हुआ ........
इस सब के कारक व कारण थे गली के तीन कुत्ते ............
इधर से भों भों करे राजकुमार सैनी 35 जात/जाति का पहरुआ होने का दम भर कर बड़े जोर से भों भों करे ये हरामी दोगला .........
तो उधर से दो खुजेले कुत्ते इसके सुर को बेसुरा बताने के लिए और जोर से भों भों करें..........
वो साला खामखा ही 35 जातियों का नेता बन बैठा तो इधर से भी ये दो हरामी दोगली औलाद जाट समाज के सरपंच बन गए यूँ ही खामखा ही ........
एक तो यशपाल मलिक और एक हवा सिंह सांगवान .......
इधर से ये दोनों भोंके उधर से राजकुमार सैनी ..........
नतीजा ------ जल गया हरयाणा और खराब हो चले सामाजिक सम्बन्ध ........
खैर जाटों को भी इन दोनों कुत्तों की राजनीति का ज्ञान हुआ तो अन्य जातियों को भी राजकुमार सैनी की हरामजदगी का भान हुआ और ये तीनो फेंक दिए समाज ने एकतरफ दूध में पड़ी मक्खी की तरह ........ अब 
अलग थलग हो चुके एक कुत्ते का अब यादव समाज के खिलाफ अपमान जनक बयान आता है ......
तो इसको जाट समाज किस प्रकार लेता है ????????
मैँ संजय दलाल ये प्रतिज्ञा करता हूँ जहां भी मुझे पता लगा कि इस सांगवान नामक कुत्ते का कोई प्रोग्राम है वहाँ जाकर मैंने इसे इसको भरी स्टेज पर जूता नही मारा तो मैँ अपने बाप की औलाद नही .........
और यही प्रार्थना मैँ मेरे तमाम मित्रों से करता हूँ चाहे वो किसी जाति के हों ..... इसको जहां पाओ पेल दो भई ...... ये कटखना कुत्ता है और कटखने कुत्ते का एक ही इलाज ...... चूतड़ों पे लट्ठ ......
बजा दो भाई इसके चूतड़ों पर लट्ठ जहाँ मिले ये हरामी कुत्ता...........
फॉलो करो साले को कहाँ क्या प्रोग्राम कर रहा वहीं पेलो ।
और सिर्फ ये ही नही जो भी समाज तोड़ने की बात करे उसे वहीं पेलो तुरन्त । 
अंत मे एक बात ...
राव तुला राम जी हमारे पूजनीय हैं उनके इतिहास को कोई बिगाड़ेगा वो माफी के काबिल नही । 
हमारे महान पूर्वज हमारी आन बान शान हैं उन पर उठी उँगली काट दी जाएगी 
राजा राम चन्द्र की जय ।
#संजय_उवाच