monika punjabi's Album: Wall Photos

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ज़िन्दगी से अपनी जरूरतों को दरकिनार करके कुछ सिक्के परश में मै रखती रहे...

कभी ना कभी में खरचुगी ये सोच के पाई पाई जोड़ती रही...

उधड़ती रही कपड़े को
तुरपाईकरके ज़िन्दगी जीती थी

वक़्त ही नहीं मिला खुद को सजाने संवारने का

फिसलती रही हाथ से मेरे खुशियाँ वक़्त भरपाई करेगा एक दिन हम भी जिएगे अपनी ज़िंदगी ये सोच करते रहै भरपाई।

इक दिन जब मिली फुरसत सोचा खुद को आज सजाऊ सावारू

बरसों से जो जोड़े वो बचत खर्च आज कर आऊं।

खोला पर्स वो बरसो से जोड़ रखे थे जो देख उन्हें आज दिल बाग बाग हुआ

खुद से मिलने के लिए जब आइना देखा

आईने में देखा जो आंखे मेरी भर अाई
पहचान ही न पाई मै खुद को

ध्यान से देखा बालों पे
रंग चांदी का चढ़ा था ,
सामने वह मुझ जैसा
जाने कौन ख डि थी......
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