ज़िन्दगी का कोई भारोसा नही अच्छे कर्म करो अच्छी सिख दो
अच्छे कर्म का स्वाद मिठ्ठा होता हैं
एक बहुत पुराने जामीदार जी ने अपने मैनेजर को इतना डाटा- की मैनेजर को बहुत गुस्सा आया पर जामीदार जी को कुछ बोल ना सका--
वह अपना गुस्सा किस पर निकाले-- हो गया सीधा अपने कंपनी स्टाफ के पास और सारा गुस्सा कर्मचारियों पर निकाल दिया।
अब कर्मचारी किस पर अपना गुस्सा निकाले-तो जाते-जाते अपने गेट वॉचमैन पर उतारते गए-
अब वॉचमैन किस पर निकाला अपना गुस्सा-?
तो वह घर गया और अपनी बीवी को डांटने लगा बिना किसी बात पर।अभी भी उठी और अपने बच्चे की पीठ पर 2 धमाक धमाक लगा दिया- सारा दिन tv देखता रहता है काम कुछ करता नहीं है--
अब बच्चा घर से गुस्से से निकला, और सड़क पर सो रहे कुत्ते को पत्थर दे मारा,
कुत्ता हड़बड़ाकर भागा और सोचने लगा कि इसका मैंने क्या बिगाड़ा-और गुस्से में उस कुत्ते ने एक आदमी को काट खाया-
और कुत्ते ने जिसे काटा वह आदमी कौन था-?
वही जामीदार जी थे, जिन्होंने अपने मैनेजर को डांटा था।
जामीदार जी जब तक जिए तब तक यही सोचते रहे कि उस कुत्ते ने आखिर मुझे क्यों काटा-*लेकिन बीज किसने बोया* ?
आया कुछ समझ में-- *कर्म के फलपीछा नहीं छोड़ते बाबा* जाने अनजाने में कितने लोग हमारे व्यवहार से त्रस्त होते हैं, परेशान होते हैं और कितने का तो नुकसान भी होता है।
पर हमें तो उसका अंदाजा भी नहीं होता, क्योंकि हम तो अपनी मस्ती में ही मस्त है।
पर प्रकृति सब देखती है और उसका फल फिर किसी और के निमित्त से हमें मिलता है, और हमें लगता है कि लोग हमें बेवजह ही परेशान कर रहे हैं*?
#जयरूद्राय