sanjay chaturvedi's Album: Wall Photos

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#आत्मदर्शन_भारत_3

#स्वामी_विवेकानंद : #पावन_स्मृति

बचपन से ही एक चित्र से प्रभावित हुआ वो थे, #स्वामी_विवेकानन्द.. 12 जनवरी 1863 जिनका अवतरण दिवस। बाल्यकाल से ही सामाजिक गतिविधियाँ धार्मिक, आध्यात्मिक प्रवृत्ति के कारण से उनके चित्र के प्रति आकर्षण रहा । शिक्षा प्रारम्भ हुई, छोटी-छोटी घटनाएँ, कुछ संस्मरण विवेक ज्योति जैसी पत्रिका देखी। थोड़ी उम्र बढ़ने के साथ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद्, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सम्पर्क में आने के कारण उस विराट व्यक्तित्व को नजदीक से और अधिक जानने का, समझने का अवसर मिला।

कुछ दिन बाद इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्र जीवन के समय विवेकानन्द केन्द्र जो स्वामी विवेकानन्द के विचार, दर्शन, उनके जीवन के आधार पर चलने वाला स्वयंसेवी एक सामाजिक संगठन है, उसके साथ जुड़कर जीवन का कुछ समय देने का अवसर प्राप्त हुआ। स्वामी विवेकानन्द जी आज ही के दिन 4 जुलाई 1902 रात्रि सवा नौ बजे हमारे बीच शरीर यात्रा पूर्ण करके गए। कुल जीवन के 39 वर्ष 5 माह 22 दिन ही इस धराधाम पर रहे। इतने अल्पकाल में भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व को एक दिशा-दृष्टि सोचने की स्थिति और विशेष प्रकार की संगठनात्मक कार्यशैली दे गए जो सनातन धर्म, जिसे हिन्दुत्व कहते हैं की स्थापना के लिए एक संगठनात्मक ढाँचा एक प्रेरक पुंज के रूप में प्रस्तुत हुए। उन्होंने सम्पूर्ण विश्व का भ्रमण किया और पूरे भारत की परिक्रमा की। परिक्रमा करते हुए जिस कन्याकुमारी की शिला पर बैठे थे ,दिसम्बर 1992 में मुझे भी उस शिला पर कुछ देर बैठकर ध्यान करने का अनुभव प्राप्त हुआ। जिस शिला पर बैठकर स्वामी जी ने आत्मदर्शन किया और भारत के प्रति, भारत की दुर्दशा के प्रति , भारत की आत्मविस्मृति के प्रति । वहीं बैठकर के जाना, समझा, रोए, बिलखें लेकिन वहीं से मार्ग खुलता है, दृष्टि खुलती है और इस भारत की दशा के लिए, दुर्दशा के लिए जिम्मेदार तत्वों को समझते हैं, जानते हैं, देखते हैं और सम्पूर्ण विश्व में भ्रमण करके भारत की आत्मा को जगाने का प्रयत्न करते हैं। उनका कहना था- ‘‘भूखे पेट से कभी धर्म नहीं होता।’’

जब लोगों ने स्वामी जी से प्रश्न किया कि आप विश्व में तो प्रवचन करते हैं, वेदान्त के दर्शन की बात करते हैं तो वेदान्त के दर्शन को भारत में क्यों नहीं देते? उनका जवाब था आज वेदान्त का दर्शन भारत में बहुत है। हमको गरीबी, अशिक्षा, स्त्री शिक्षा यह भारत की जो सोई हुई आत्मा कोे झकझोरने का काम है उसके लिए मुझे प्रचुर मात्रा में धन चाहिए और भारत के नौजवान की आत्मा को जगाना है इसलिए मैं विश्व भ्रमण कर रहा हूँ।

स्वामी विवेकानन्द जी से पूछा गया कि वेदान्त सोसायटी और वेदान्त के संस्थान की क्या जरूरत है? उनका कहना था- ‘अज्ञानता में भारत की जो सुप्त चेतना है। जो अज्ञान में डुबा भारत है उस चेतना को जगाने के लिए इसकी जरूरत है। स्वामी विवेकानन्द जी अन्तिम दिन यानि 4 जुलाई 1902 की शाम तक उन्होंने अपने शिष्यों को वेदान्त की शिक्षा दी थी । #स्वामी_प्रेमानन्द जी को वेदान्त के शिक्षण का संस्थान खड़ा करने की प्रेरणा दी थी। #भगिनी_निवेदिता को स्त्री शिक्षा के लिए प्रेरित किया था ।

ऐसे स्वामी विवेकानन्द जी अल्पकाल में ही हमारे भारत के नौजवानों के लिए ही नहीं सम्पूर्ण विश्व के लिए प्रेरणास्रोत हैं। आज की सभी समस्याओं का, भारत ही नहीं संसार की सभी समस्याओं का निदान स्वामी विवेकानन्द के जीवन दर्शन और विचार दर्शन में सन्निहित है। उन्होने समग्रता के साथ मनुष्य प्राणीमात्र के विकास की बात कही है। वेदान्त के आधार पर आज मनुष्य के आत्मा के विकास की बात की है और भौतिक विकास की बात, उचित भोजन, उचित शिक्षण, उचित आवास, उचित आर्थिक व्यवस्था की बात की है। उन्होंने उस समय टेक्नोलाॅजिकल इंस्टीट्यूट का चिंतन किया है। बस इसी भावधारा में रच बस कर के हमे लगा कि हमको भी स्वामी विवेकानन्द जी के विचार दर्शन पर कुछ समझते हुए, कुछ जानते हुए इसी विचार दर्शन के लिए जीवन अर्पित करना चाहिए। इसी में हमारी भी पूर्णता है और राष्ट्र की भी सेवा है। तो हम 12 जनवरी 1997 #दिव्य_प्रेम_सेवा_मिशन की स्थापना से ही अपनी प्रमुख भूमिका के साथ जुट गए। आज सेवा, साधना, सम्बोधि के मार्ग पर चलता हुआ सेवा मिशन अपनी सेवा साधना के 24 वर्ष पूर्ण करने जा रहा है इसीलिए अपने सभी मित्रों से, नौजवानों से और जो स्वामी विवेकानन्द विचार दर्शन को, भावधारा को जानना चाहते हैं, समझना चाहते हैं, प्रत्यक्ष जीना चाहते हैं ऐसे लोगों को इस दिव्य प्रेम सेवा मिशन से जुड़ने के लिए, प्रत्यक्ष भागीदारी के लिए मैं आह्नान करता हूँ।

ऐसे #स्वामी_विवेकानन्द की आज #पुण्यतिथि के अवसर पर मैं उनको हृदय से #श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ एवं अपने सभी नौजवान मित्रों से आग्रह करूँगा कि उनके जीवन दर्शन को जाने, समझे, देखें, पढ़े चिंतन करें और उसके प्रकाश में चलकर अपने जीवन को सफल बनाते हुए राष्ट्र जीवन के उन्नति में सहभागी बनें। धन्यवाद।