मेरे जीवन का बहुप्रतीक्षित दिन अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण है।
अयोध्या मेरे पूर्वजो की धरा है परंतु मुगलों के आक्रमण में संघर्ष करते हुए हमारे पूर्वज वीरगति को प्राप्त हुए और जो बच सके वह गोरखपुर वाराणसी और उसके बाद अकबर के शासन के अंत काल में Allahabad पूर्व में प्रयाग वर्तमान प्रयागराज में आकर बस गए
परंतु मैं कभी अयोध्या नही गया कारण मात्र राममंदिर का न होना था।
मेरा प्रण था कि अयोध्या में प्रवेश तब ही करूगा जब श्रीराम मंदिर की आधारशिला रखे जाएगी।
इस 500 वर्ष के संघर्ष के दौरान हमने राम की लीला का गुणगान किया और मंदिर नव निर्माण के लिए तन मन धन से समर्पित हुए
इस दौरान हम सब ने अनेक बुरी एवं ताकतवर शक्तियों का सामना किया
मुगल (कसाई) और अंग्रेज (ईसाई) सनातन वृक्ष को दीमक की तरह चाटने के लिए अनवरत प्रयासरत रहे
परंतु हमने उनको कभी स्वयं पर स्थापित होने नही दिया और वर्तमान की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी से मेरे अत्यंत जुड़ाव का कारण भी पार्टी का मंदिर के लिए संघर्ष था।
मन की प्रसन्नता विभोरता को प्रगट करना शव्दों में सम्भव नही....
श्रीराम से द्वेष, उनका और उनके भक्तों का अनादर सबसे बड़ा कारण है कि मुझे कांग्रेस और समाजवादी पार्टी से बेइंतहा नफरत है।।
जो राम के नही हुए वो किसी के क्या होगे।।
अब मैं भी अयोध्या की पावन भूमि पर जाने अपनी कुलनदी सरयू में स्नान करने का सौभाग्य प्राप्त करूगा क्योंकि अब हमारे राजा रामचंद्र जी विराजेंगे वहाँ।।