Sushil Chaudhary's Album: Wall Photos

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हिन्दुओ के इतिहास में दो प्रकार के भ्रम फैलाये गए है -

1) भारतीयों ने कभी दूसरे देश पर हमला नही किया

खंडन 1 - चोल साम्राज्य ने श्रीलंका को जीतकर वर्षो तक उस पर शासन किया था, पंड्या वंश का प्रभाव आज के वियतनाम और इंडोनेशिया तक था। जहाँ के राजाओ को महाराज राजराजा और परांतक ने हराकर एशिया पेसिफिक में भारत का लोहा मनवाया था।

खंडन 2 - भारत सम्राट विक्रमादित्य ने मिस्र पर आक्रमण करके भारतीय जहाज लूटने वालो के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की थी और भारत को पूरे विश्व की महासत्ता बना दिया था।

खंडन 3 - 1758 में पेशवा रघुनाथ राव ने अटक जीतकर अफगानों को अफगानिस्तान में घुसकर मारा था, तथा 1822 में सिख महाराज रणजीत सिंह ने भी अफगानों को हिंदुकुश की घाटी तक घुसकर मारा था।

खंडन 4 - 1965 के युद्ध मे भारतीय सेना ने लाहौर को जीतकर वहाँ तिरंगा फहरा दिया था।

2) हिन्दुओ ने कभी अन्य धर्मस्थलों पर हमला नही किया।

खंडन 1 - जब महाराज हरिहर राय ने दक्षिण में विजयनगर साम्राज्य की स्थापना की थी, उस समय मंदिरों को तोड़कर बनाई गई सभी मस्जिदे गिरा दी गयी थी और मंदिरों का पुनः निर्माण करवाया गया।

खंडन 2 - सन 1517 में महाराणा सांगा ने मालवा को जीता तथा जब राजपूत सेना ने उज्जैन में देखा कि उज्जैन महाँकाल की नही अपितु ख़्वाजो की नगरी बन गयी है तब राजपूत इन मस्जिदों पर काल की तरह टूटे और उज्जैन को फिर से अपने इतिहास से जोड़ दिया।

खंडन 3 - 1684 में छत्रपति संभाजी महाराज ने बुरहानपुर में मुगलो पर हमला किया और उन्हें पराजित किया, इस दौरान मराठाओ ने बुरहानपुर की सारी मस्जिदे गिरा दी तथा दरगाहों को तोड़ दिया। वही 1739 में मराठा जनरल चिमाजी अप्पा ने पुर्तगालियों के विरुद्ध धावा बोला तथा गोवा के चर्चो को जमकर तोड़ा और लूटा।

खंडन 4 - मस्जिदों का सबसे अधिक विध्वंस सिखों के हमले में ही हुआ है, 1699 में सिखों ने पटियाला को जीता और वहाँ की प्रसिद्ध मोती मस्जिद को खालसों ने गिरा दिया। 1713 में भटिंडा के पास की 5 मस्जिदे तोड़ी गयी, 1783 में जब सिख दिल्ली में घुसे तब तो जामा मस्जिद को छोड़कर लगभग सभी मस्जिदों को लूटा गया।

पोस्ट का तात्पर्य सिर्फ इतना है कि "हिन्दू तो बहुत ही सहिष्णु है और सहिष्णुता ही हिन्दुओ की पहचान है" कृपया इस प्रकार के छलावे से बचे।

हिन्दू सहिष्णु बना रहे यही हिन्दू विरोधी चाहते है, व्यर्थ में मस्जिदों को तोड़ो उन पर हमले करो यह हम भी नही चाहते मगर यदि परिस्थिति विवश करती है तो अहिंसा का राग अलापने की कोई आवश्यकता नहीं है।

हमारे सभी बड़े राजाओ ने अपने अपने स्तर पर वो हिंसा की है जिसके प्रति हमारे मन मे नफरत भरी गयी। अपने इतिहास को ना भूले और राष्ट्र के लिये सदैव युद्ध करे, हिन्दू धर्म और भारत दोनो का इतिहास युद्धों से भरा हुआ है इसलिए हमारे ही इतिहास में इस प्रकार की छेड़छाड़ की जाती है।