पीपल को आयुर्वेद में अश्वत्थ कहा जाता है, यह ब्रह्मवृक्ष है और देववृक्ष भी इसे कहते हैं क्योंकि इस पर देवताओं का वास होता है शायद ही ऐसा कोई रोग हो जो पीपल से बनी ओषधि से दूर न होता हो।
यह आठों प्रहर प्राणवायु -आक्सीजन का ही उत्सर्जन करता है। औषधियों में इसके पञ्चाङ्ग का प्रयोग होता है
इसमें निकलने वाले रसमल (गोंद)
को लाक्षा कहते हैं। शरीर के किसी भाग से रक्त निकलता हो लाक्षा का
चूर्ण उसे बन्द कर देता है।
पहले इसी को गीलाकर महिलायें
पादरञ्जन (महावर) बनाती थीं
और पैरों में लगाती थी इसको
शुभ माना जाता था। इसके फलों
के चूर्ण में शुक्रशोधन की गजब की
शक्ति है। हिन्दुओं के लिये तो यह परम पवित्र वृक्ष है इसकी बोनसाई बनाने पर आपकी अगली पीढ़ी बेऔलाद होती है।