हमे आज तक यही पढ़ाया गया कि कुतुबमीनार सबसे ऊँची है लेकिन आज पहली बार पता चला कि दुनिया का सबसे ऊंचा 249 फुट का मन्दिर हमारे कर्नाटक राज्य में स्थित है।
इस मंदिर की कलाकृति के आगे कुतुबमीनार कुछ भी नही है । इस मंदिर के परिसर के पास भगवान शिव की प्रतिमा भी 123 फुट की है जो कि दुनिया की सबसे ऊंची भगवान शिव की प्रतिमा है । हमे यह सब कुछ इतिहास में क्यो नही पढ़ाया गया ? क्या सिर्फ इसलिए कि हम आक्रांताओ को महान समझ सके ? हम मुगलो को महान समझ सके।
हमारे देश मे ऐसी कलाकृतियों की भरमार है लेकिन हमें पढ़ाया या बताया ही नही गया।