उंगलियों में अंगूठी, हाथों में कंगन, बाजू में बाजू बंद, यह तो केवल हाथ का श्रृंगार है। अभी तो संपूर्ण शरीर बाकी है।आप इस कलाकृति से ही अनुमान लगा सकते हैं कि हमारी संस्कृति कितनी सुंदर रही होगी।
कई लोग सोचते हैं के श्रृंगार पश्चिमी सभ्यता की देन है। परंतु उन भोले लोगों को क्या पता की भारत में श्रृंगार का चलन आदिकाल से ही है। हमें जो इतिहास पढ़ाया जाता है उसे बदलने की जरूरत है। जहां से कुछ हजार वर्षों पहले संपूर्ण विश्व गुफाओं में निवास करता था और भोजन की तलाश में इधर-उधर भटकता था। वही हमारे भारतवर्ष में लोग आधुनिक जीवन शैली का प्रयोग करते थे।