#गुरुत्वाकर्षण
कहते हैं न्यूटन ने सेब फल को गिरते देखा और गुरुत्वाकर्षण का पता लगाया, एक सेब को गिरते देख लिया और पृथ्वी के अंदर गुरुत्वाकर्षण खोज लिया,,
ऋषि #कणाद ने हजारों साल पहले #वैशेषिक दर्शन में गुरुत्वाकर्षण का कारण बताया,
#संयोगाभावे #गुरुत्वातपतनम--५-१-७,,
यानी कोई भी वस्तु जब तक कही न कहीं उसका जुड़ाव है वो नीचे नहीं गिरेगी,, जैसे आम या सेब का टहनी से संयोग,जब तक संयोग है तब तक #पृथ्वी में कितना भी आकर्षण है वो वस्तु को अपनी तरफ खींच नहीं सकती,, जैसे ही संयोग का अभाव हुआ गुरुत्व के कारण वस्तु खुद पृथ्वी पर गिर जाएगी,,
2--#संस्काराभावे गुरुत्वात पतनम--५-१-१८
आगे बढ़ते हुए #ऋषि कणाद कहते हैं कि अगर किसी वस्तु में संस्कार है तब भी पृथ्वी उसे अपनी तरफ नहीं खींच सकती,, संस्कार का अभाव होने पर ही वस्तु गुरुत्व के कारण पृथ्वी पर गिरेगी,,
संस्कार ऋषि ने तीन प्रकार के बताए,1-#वेग,
2-#भावना,
3-#स्थितिस्थापक,
तो इन तीन में से वेग संस्कार जिस वस्तु में है,,, जैसे तीर में हम धनुष से वेग उत्त्पन्न करते हैं,, तो वह गति करता है,, जैसे ही वेग संस्कार खत्म होगा,, उतनी दूर जाकर वह अपने गुरुत्व के कारण जमीन पर गिर जाएगा,,,
पूरी पृथ्वी पर हमारे वैदिक ऋषियों के सिद्धांत हैं,, लेकिन फिर भी हम उन्हें दूसरों के नाम से पढ़ने पर मजबूर हैं,,
अपने वेद शास्त्रों की ओर लौट आओ दोस्तों,,कुछ नहीं है अंधी पश्चिमी दौड़ मे
अपनी संस्कृति, अपना गौरव
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