अखंड भारत के लिए बलिदान देने वाले पहले भारतीय थे डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी
भारतीय राजनीति में पहले व्यक्ति जिन्होंने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिए जाने के खिलाफ आवाज बुलंद की, वो थे दिग्गज नेता और भारतीय जन संघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी. आज उनकी पुण्यतिथि है. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का निधन 23 जून को आज ही के दिन साल 1953 में हुआ था.
श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जवाहरलाल नेहरू से अलग होकर 1951 में भारतीय जन संघ की नींव रखी थी. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने के खिलाफ थे. उनका कहना था कि एक देश में दो विधान, दो निशान और दो प्रधान, नहीं चलेंगे.
बता दें कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने साल 1953 में बिना परमिट के कश्मीर का दौरा किया, जहां उन्हें जम्मू-कश्मीर की तत्कालीन शेख अब्दुल्ला सरकार ने गिरफ्तार कर लिया था. इसी दौरान रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मौत हो गई. केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) श्यामा प्रसाद मुखर्जी को अपना आदर्श मानती है. बीजेपी का आज भी ये प्रमुख नारा है 'जहां हुए बलिदान मुखर्जी वो कश्मीर हमारा है, जो कश्मीर हमारा है, वह सारा का सारा है.'
श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान के कुछ समय बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने जम्मू-कश्मीर में परमिट सिस्टम को खत्म कर दिया था. मुखर्जी के पद चिह्नों पर चलते हुए अब बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद 370 को संसद में संशोधन करके निष्प्रभावी बना दिया है.