सदियों पहले बने इस मंदिर की नक्काशीयों को देखिए, सीढ़ियों से लेकर खंभे तक इतनी बारीक कारीगरी और कलाएं आपको जल्दी कहीं देखने को नहीं मिलेंगी। प्रत्येक खंभों पर ढेर सारी मूर्तियां भी बनी हुई है। जरा सोचिए इन्हें बनाने में हमारे पूर्वजों को कितना समय और धैर्य लगा होगा।
क्या आज के इस अत्याधुनिक युग में ऐसा मंदिर बनाना संभव है? शायद नहीं? ऐसा तो बिल्कुल ही नहीं।
फिर हम सभी लोग अपने संस्कृति एवं धर्म पर गर्व क्यों नहीं करते हैं? यह सोचने वाली बात है। हमारे मन में जाति धर्म और हीनता का ऐसा भाव भर दिया गया है जिससे हम सभी लोग अपने आप को तुच्छ एवं छोटा समझते हैं।