स्थूल जगत जिसको हम देख सकते है पृथ्वीलोक पर रहने वाले प्राणी जिसको हम देख सकते है स्थूल जगत में आते है। सूक्ष्म जगत जो हमे दिखाई नही देता, जो अन्य लोक है स्वर्गलोक, नाग लोक, यक्ष लोक आदि। इंसान सूक्ष्म जगत को अंधविस्वास या कोरी कल्पना मानता है क्योकि कभी उससे परिचित हुआ ही नही है। सामान्य इंसान को तो ये भी ज्ञात नही की हमारी देह के अंदर भी एक सूक्ष्म देह है। इस सृष्टि में बहुत कुछ है हमारी कल्पना से भी परे। स्थूल को हम सामान्य आँखों द्वारा देख सकते है लेकिन सूक्ष्म जगत को देखने के लिए मन्त्र शक्ति का प्रयोग करना पड़ता है। हम सभी के पास तीन आंखे है 2 स्थूल रूप से तीसरी सूक्ष्म रूप से जिसे तीसरी आंख बोलते है लेकिन इंसान को अभी इन सब बातों का ज्ञान नही है।
इंसान सूक्ष्म जगत को कल्पना इसलिए मानता है क्योकि उसका कभी साक्षात्कार नही हुआ सूक्ष्म जीवों से। इसलिए भूत, प्रेत, यक्ष, गन्धर्व,देव, देवी, दिव्य नाग की कथाएँ अंधविस्वास लगती है। सामान्य इंसान को देव देवी के दर्शन कर पाना सम्भव नही हो पाता कभी इसका अनुभव नही किया तो ऐसी अवस्था मे सामान्य इंसान को कल्पना लगती है। वही एक साधक साक्षात्कार कर लेता है सूक्ष्म जगत के तो उनके तो पूर्ण सत्य है।
किसी भी बात की पूर्ण रूप से जांच परखकर असत्य कहना उचित होता है लेकिन बिना जांच परख किये ही बात को असत्य बोल देना गलत होता है। ऐसा नही है कि जो हमने देखा है सिर्फ वही सत्य है सत्य तो वो भी है जिसको कभी देखा ही नही है। अंतर सिर्फ इतना है कि अभी हम उससे परिचित नही है अपने ही अहंकार के नीचे दबे हुए है इसलिए सत्य को स्वीकार ही नही कर पाते।
आप सभी ने सूक्ष्म जीव के बारे में पढ़ा होगा जिसको लेंस आदि के प्रयोग से देखा जाता है। हम उनको जीवो सामान्य आंखों से नही देख पाते उनको देखने के लिए कोई विधि अपनानी होती है। जैसे दही में जीवाणु होते है लेकिन हम देख नही पाते यदि हम लेंस के माध्यम से दही को देखे तो जीवाणु स्पष्ट दिखाई देंगे। यही सब तन्त्र में होता है मन्त्र आदि का प्रयोग करके सूक्ष्म योनियों को देखते है।
इंसान नकारात्मक विचारों का हो गया है इसलिए आधात्मिक बाते अपना नही पाता। अगर हम साधना मार्ग पर आते है और मार्ग पर बढ़ते है तो सबकुछ सामने आ जाता है यहा तक कि आपके पूर्व जन्मों की गाथा भी पूर्ण रूप से दिखाई देंगी।
हमारा आज का विज्ञान स्थूल जगत तक सिमिट कर रह गया है यदि विज्ञान सूक्ष्म जगत पर आगे बढे तो इंसान का जीवन बहुत सरल हो जाएगा। इंसान अपने आपको पूर्णतया बदल लेगा फिर शायद परमाणु जैसे हथियारों की आवश्यकता ही ना पड़े। चारो तरफ प्रेम और सत्य ही दिखाई देगा क्योकि इंसान जब कर्म का फल जान लेता है तो कुछ भी करने से पहले उसके फल पर भी विचार अवश्य करेगा।