इतिहास में किसी की हद से ज़्यादा तारीफ आपको दिखे तो समझ लीजिए, मामला गड़बड़ है, जैसे कल तक हम बापू चाचा को देश का तारणहार मानते थे, लेकिन सत्य वह नही था। इतिहास की यह गड़बड़ हर जगह ही है । असली योद्धाओं से तो आपका परिचय करवाया ही नही गया ।
●उदाहरण आपको मानसिंह कच्छवाह का देता हूँ - राजा मान ने उड़ीसा में जगन्नाथ मंदिर समेत 7000 मंदिरो से ज़्यादा मंदिरो की रक्षा की ।
● राजा मान ने हिंदुओ का मुक्ति स्थल गयाजी की न केवल रक्षा की, बल्कि वहां हजारो मंदिर बनवाये भी ।
●राजा मान ने एशिया की सबसे बड़ी शक्ति अफगान मूलवंश बंगाल सल्तनत का नाश किया
● राजा मान ने गुजरात को 300 साल बाद अफगान शासकों से आजादी दिलवाई
● राजा मान ने द्वारिकाधीश मंदिर को मस्जिद से पुनः मंदिर बनाया
● तुलसीदास का सरंक्षक राजा मान था । उन्ही के संरक्षण के कारण तुलसीदास रामायण लिखने में सफल हो पाए ।
● राजा मान ने काशी में हजारो मंदिरो का निर्माण करवाया
● राजा मान ने मीराबाई को पूरा सम्मान दिया, उनका भव्य मंदिर अपने ही राज्य में बनवाया
● राजा मान ने अफगानिस्तान को तबाह करके रख दिया, जहां से पिछले 500 वर्षों से आक्रमण हो रहे थे ।
● राजा मान ने ही पूर्वी UP से लेकर बिहार, झारखंड की रक्षा की
● राजा मान ने ही सोमनाथ मंदिर का दुबारा उद्धार किया था, हालांकि बाद में औरंगजेब ने इसे तोड़ डाला
●राजा मान ने ही हिंदुओ पर लगा हुआ 300 वर्ष से चल रहा जजिया कर हटवाया
● राजा मान ने ही मथुरा का उद्धार किया ।।
● राजा मान की प्रजा ही सबसे सुखी सुरक्षित और सम्पन्न प्रजा थी ।।
लेकिन जब मैने मानसिंह की तारीफ शुरू की, तो एक सज्जन आकर बोलने लगे, राजा मानसिंह के कारण हम अपने सभी राजाओ का सम्मान दाव पर नही लगा सकते, तो इसका अच्छा अर्थ मुझे समझ आया, सबका सम्मान बचाने के लिए राजा मानसिंह को बलि का बकरा बना दो, ओर उनका अपमान करो ? उनके अपमान से सबकी कमियां ढक जाएगी ...
जबकि हक़ीक़त यह है, की 1576 ईस्वी तक, जो हल्दीघाटी युद्धकाल समय था, उस समय तक मुगल तो मुट्ठीभर थे, भारत मे अफगान वंश के मुस्लिम कब्जा करके बैठे थे । मुगल तो यहां 100 साल भी ढंग से राज नही कर पाए ....
इतिहास का विश्लेषण कीजिये, ऐसा न हो कहीं हम कर्नल टॉड ओर चाटुकार इतिहासकारो का इतिहास पढ़कर भारत के वीर पुत्रो का अपमान कर रहे हो ....