1194 ईस्वी में गौरी के आक्रमण भारत का पूर्वी क्षेत्र पूरी तरह इस्लाम के अंधकार में डूब गया था, संस्कृत भाषा का लोप तो हो ही गया था, साथ ही रामजी का नाम भी पूरी तरह लुप्त किया गया । जो हालात आज पाकिस्तान बांग्लादेश के हिंदुओं की है, वही संघर्ष पूर्वी क्षेत्र के लोगो को करना पड़ रहा था।
ऐसे में राजा मान को मिले तुलसीदासजी, राजा मानसिंह ने तुलसीदास जी से आग्रह किया की वह स्थानीय भाषाओं में रामायण लिखकर रामजी के नाम को पुनःजीवित करें ।। तुलसीदास के विषय मे राजा मान को संकेत मीराबाई से भी मिल चुके थे ।
तुलसीदास को सरंक्षण मिला राजा मान का, उसके बाद रामजी का कालजयी भक्ति इतिहास लिखा गया , जिसका नाम था " रामचरितमानस " ।
आज राम के उन्ही भक्त , तुलसीदास जी के संरक्षक और भक्त राजा मानसिंहजी की पुण्यतिथि है । मै उन्हें बारम्बार प्रणाम करता हूँ ।।