वैभव विलास की चाह नहीं ,
अपनी कोई परवाह नहीं ,
बस यही चाहता हूं केवल,
दान की देव सरिता निर्मल,
करतल से झरती रहे सदा,
निर्धन को भरती रहे सदा,
मुझसे मनुष्य जो होते हैं,
कंचन का भार न ढोते हैं,
पाते हैं धन बिखारने को,
लाते हैं रतन लुटाने को,
जग से न कभी कुछ लेते हैं,
दान ही हृदय का देते हैं ।।
:-
आलोक कुमार पाण्डेय
महामंत्री
भारतीय जनता पार्टी
चित्रकूट
9450223220