Dinesh Choubey's Album: Wall Photos

Photo 336 of 1,070 in Wall Photos

नई दिल्ली. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019 (Consumer Protection Act-2019) बहुत जल्द ही पूरे देश में लागू होने जा रहा है. उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय (Ministry of Cnsumer Affairs, Food & Public Distribution) की सूत्रों की मानें तो 20 जुलाई 2020 या अगले हफ्ते किसी भी दिन यह अधिनियम लागू होने जा रहा है. नया कानून उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 का स्थान लेगा. मोदी सरकार (Modi Government) ने इस अधिनियम में कई बदलाव किए हैं. उपभोक्ता एवं खाद्य मामलों के मंत्री रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) ने पिछले ही दिनों कहा था, 'उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के नियमों का मसौदा तैयार हो चुका है'.
पीएम मोदी के दिशा-निर्देश में एक ऐसा कानून बना है, जिसको लागू हो जाने के बाद अगले 50 सालों तक देश में कोई और कानून बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
'कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 की प्रमुख विशेषताएं
1-केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) की स्थापना- इसका मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करना होगा. इसके साथ-साथ अनुचित व्यापारिक गतिविधियां, भ्रामक विज्ञापनों और उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित मामलों को भी देखेगा और त्वरित गति से उसका निपटारा करेगा. इस प्राधिकरण के पास अधिकार होगा कि वह भ्रामक या झूठे विज्ञापन जैसे-लक्ष्मी धन वर्षा यंत्र बनाने वालों और उनका प्रचार-प्रसार करने वालों पर जुर्माना लगाए. इस प्राधिकरण के पास अधिकार है कि 2 वर्ष से लेकर 5 साल तक की कैद की सजा सुनाने के साथ-साथ 50 लाख रुपये तक जुर्माना वसूलने का. इसका नेतृत्व महानिदेशक सीसीपीए करेंगे.

2-उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (Consumer Disputes Redressal Commission) का गठन- इस आयोग का काम है कि अगर आपसे कोई अधिक मूल्य वसूलता है, आपके साथ अनुचित व्यवहार करता है, जीवन के लिए खतरनाक और दोषपूर्ण वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री की जाती है तो इसकी शिकायत सीडीआरसी सुनेगी और फैसला सुनाएगी.
Consumer Protection Act-2019 की कुछ और महत्वपूर्ण विशेषताएं
- पीआईएल या जनहित याचिका अब कंज्यूमर फोरम में फाइल की जा सकेगी. पहले के कानून में ऐसा नहीं था.
-नए कानून में ऑनलाइन और टेलीशॉपिग कंपनियों को पहली बार शामिल किया गया है.
-खाने-पीने की चीजों में मिलावट तो कंपनियों पर जुर्माना और जेल का प्रावधान.
-कंज्यूमर मीडिएशन सेल का गठन. दोनों पक्ष आपसी सहमति से मीडिएशन सेल जा सकेंगे.
-कंज्यूमर फोरम में एक करोड़ रुपये तक के केस
-स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन में एक करोड़ से दस करोड़ रुपये
-नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन में दस करोड़ रुपये से ऊपर केसों की सुनवाई.
-कैरी बैग के पैसे वसूलना कानूनन गलत.
-सिनेमा हॉल में खाने-पीने की वस्तुओं पर ज्यादा पैसे लेने वालों की अगर मिलती है शिकायत तो होगी कार्रवाई.