प्रमोद गुप्ता's Album: Wall Photos

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एक_बार_अवश्य_पढ़ें

#लेफ्टिनेंट_जनरल_सगत_सिंह_को_भारत_का_सबसे #निर्भिक_जनरल_माना_जाता_है_जनरल_सगत_सिंह #एकमात्र_सैन्य_अधिकारी_है_जिन्होंने_तीन_युद्ध_में #जीत_हासि_की_थी, उनके नेतृत्व में गोवा को पुतर्गाल से मुक्त कराया गया।
वहीं वर्ष 1967 में चीनी सेना पर जबरदस्त हमला किया और 350 से अधिक चीनी सैनिक शहीद हुए और चीन को नाथुला से पिछे हटना पड़ा।
इसके बाद वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में अपने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों को दरकिनार कर जनरल सगत ढाका पर जा चढ़े इसकी बदौलत पाकिस्तानी सेना को हथियार डालने को मजबूर होना पड़ा।

#यह_जनरल_हमेशा_उपेक्षा_का_शिकार_हुआ_यही #कारण_है_कि_उन्हें_कभी_किसी_तरह_का_वीरता #सम्मान_नहीं_मिला।
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क्या आपको पता है, 1967 में भारत ने चीन के 350 से अधिक सैनिक मार दिए थे?

#और_मक्कार_कांग्रेसी_इस_सफलता_का_श्रेय_क्यों #नहीं_लेते??
तो सुनिए हुआ क्या था.

वास्तव में 1967 में हमारे भारतीय जांबाज सैनिकों ने चीनियों के दांत खट्टे कर दिए थे पर इसमें कांग्रेस सरकार का कोई रोल नहीं था।

हुआ ये था कि 1965 की लड़ाई में पाकिस्तान पस्त हो रहा था..... अयूब खान भागा-भागा चीन गया........... चीन से आग्रह किया कि वह भी एक मोर्चा खोल दे, ताकि भारत परास्त हो जाय।

चीन ने पाकिस्तान की मदद करने के लिए भारत को साफ़ तौर पर चेतावनी दी कि... भारतीय सेना अपनी दो पोस्ट खाली कर दे एक चौकी था जेलेप और दूसरा था प्रसिद्ध नाथूला।

#भीगी_बिल्ली_कांग्रेस_ने_सीधे_तौर_पर_इस_आदेश_को_स्वीकार_किया_और_सेना_को_आदेश_दिया_कि #भारत_दोनों_चौकी_खाली_कर_दे।

यह वह समय था जब धरती के लाल बहादुर लाल का रहस्यमय निधन ताशकंद में हो गया था और इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री बन चुकी थी।

तो एक चौकी को आदेशानुसार खाली कर दिया गया और उस पर बाकायदा चीनियों ने कब्ज़ा भी कर लिया बिना एक बूँद रक्त बहाए।

दुसरे नाथुला पर तैनात थे जनरल सगत सिंह उन्हें कोर मुख्यालय प्रमुख जनरल बेवूर ने आदेश दिया नाथू ला खाली करने हैं।

परन्तु जनरल सगत सिंह ने उस आदेश को मानने से साफ़ तौर पर इनकार कर दिया।
आगे की कहानी आपको खून के आसूं रुला देगी.

जनरल सगत सिंह अपनी टुकड़ी के साथ आदेश न होने के बावजूद डटे रहे भयंकर झड़प हुई भारत के करीब 65 सैनिक शहीद हो गए हमारे जवान अपने हौसलों के साथ खुले में खड़े थे जबकि चीन अपेक्षाकृत बेहतर हालात में हमारे जवानों को मार रहे थें।

जानते हैं, ऐसा क्यों था? #यह_इसलिए_था_क्योंकि #भारतीय_सेना_के_पास_वहां_तोप_थी_लेकिन_उसे #चलाने_का_आदेश_देने_का_हक़_भारतीय_सेनाध्यक्ष #को_भी_नहीं_था, तोप चलाने का आदेश सेनाध्यक्ष भी नहीं दे सकते थे चाहे आपके कितने भी जवान मारे जाएं।

#यह_अधिकार_सीधे_प्रधानमंत्री_के_पास_था_उनके आदेश से ही तोप चलाया जा सकता था. यहां सैनिक वीर गति को प्राप्त हो रहे थे और पीएम मैडम किसी भी तरह इसे इस्तेमाल करने के मूड में नहीं थी।

फिर.... #किसी_भी_बात_की_परवाह_किये_बिना #जनरल_सगत_सिंह_ने_सीधे_अपने_सैनिकों_को_तोप #इस्तेमाल_करने_का_आदेश_दे_दिया।

उसके बाद तो भारतीय सेना ने चीनियों पर ऐसा कहर बरपायया कि देखते ही देखते चीन के 350 से अधिक चीनी जवान वहां इकतरफा ख़त्म कर दिए गए थें।

मामला ख़त्म होते ही जनरल सगत को सज़ा मिलनी ही थी उन्हें वहां से तबादला कर कहीं और भेज दिया गया #लेकिन_नाथुला_दर्रा_उसी_महापुरुष_के_कारण #सुरक्षित_रहा।

कल्पना कीजिये भारत की यह शौर्य गाथा जिसे पाठ्यक्रम का हिस्सा होना था, यह देश के नौनिहालों को बताना था.... पर नहीं बताया गया क्योंकि #अगर_यह #बताया_जाता_तो_भारत_की_यह_शौर्यगाथा_कांग्रेस #की_शर्म_गाथा_बन_कर_सामने_आती।

इसलिए इतनी बड़ी जीत को देश से लगभग छिपा लिया गया।