जितना तो हर कोई चाहता है..
पर जितने से अधिक जीत के मूल सिद्धांतों को समझना जरूरी है।
एक दौड़ में केन्या का प्रतिनिधित्व कर रहे एथलीट #हाबिल_मुताई_साइनेज ठीक से नहीं समझने के कारण दौड़ पूरी हो गयी ये सोच के फिनिश लाइन से सिर्फ कुछ ही फुट दूरी पे रुक गया I
उसके पीछे आ रहे स्पेनिश एथलीट इवान फर्नांडीज ने चिल्लाकर रेस जारी रखने के लिए कहा।
लेकिन मुताई को स्पेनिश समझ में नहीं आया !
इसके बाद स्पेनिश एथलीट ने उसे जीत के लिए धक्का दे दिया I
पत्रकार ने इवान से पूछा....!
आपने केन्याई को जीत क्यों दिलाया ....?
इवान ने जवाब दिया, मैंने उसे जीत नहीं दिलाई, वह जीतने वाला ही था.... !
पत्रकार ने फिर जोर देकर कहा-
"लेकिन आप जीत सकते थे"
इवान ने जवाब दिया....
"लेकिन मेरी जीत की खूबी क्या होगी ...?
उस पदक का सम्मान क्या होगा ...?
मेरी माँ इस बारे में क्या सोचेगी ...?"
मूल्य पीढ़ी दर पीढ़ी प्रसारित होते हैं .... निर्णय हमारा है .....
हम अपने बच्चों को कौन-कौन से मूल्य सिखा रहे हैं ....?
हमें अपने बच्चों को गलत तरीके से जीतना नहीं सिखाना चाहिए .....
#भारतीय_परिपेक्ष्य में .....
क्या आज हमारे दिल में इस किस्म की ईमानदारी और जज्बे का एक फ़ीसदी भी है .....?
जितना मैंने देखा है नहीं है ....
फिर भी बातें संस्कारों और आदर्शों की हो रही हैं, झूठ के सहारे कभी कोई जंग नहीं जीती जाती, नक़ल करके आप कभी आदर्श स्थापित नहीं कर सकते .....!